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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (६१४) अष्टाङ्गहृदयेपान भोजन लेप इन्होंमें कल्ककरके रहित और प्रयुक्त किया मीठासहोंजना दोषके अनुसार कच्ची विद्रधीको नाशता है ॥ १० ॥ त्रायन्ती त्रिफलानिम्बकटुकामधुकं समम् ॥ त्रिवृत्पटोलकाभ्यां च जत्वारोंऽशाःपृथक्पृथक् ॥ ११ ॥ मसूरानिस्तुषादष्टौ तत्काथः सघृतो सयेत् ॥ विद्रधौ गुल्मवीसर्पदाहमोहमदज्वरान् ॥ १२ ॥ तृण्मूर्छाच्छर्दिहृद्रोगपित्तासृकुष्ठकामलाः ॥ त्रायमाण त्रिफला नींब कुटकी मुलहटी ये समभाग ले निशोत और परवल की जड अलग अलग चार चार भागले ॥ ११ ॥ और तुष करके रहित मसूर आठभाग इन्होंका घृतके सहित काथ विद्रधी गुल्म विसर्प दाह मोह मद ज्वर ॥ १२॥ इन्होंको और तृषा मूर्छा छर्दि हृद्रोग रक्तपित्त कुष्ठ कामला इन्होंको जीतता है । कुंडवं त्रायमाणायाः साध्यमष्टगुणेऽम्भसि ॥१३॥ कुडवं तनसाद्धात्रीस्वरसारक्षीरतो घृतात् ॥कर्षांशं कल्कितं तिक्तात्रायन्तीधन्वयासकम् ॥ १४ ॥ मुस्तातामलकी वीरा जीवन्ती चन्दनोत्पलम् ॥ पचेदेकत्र संयोज्य तद्धृतं पूर्ववद्गुणैः ॥१५॥ और १६ तोले वनप्साको ८ गुने पानीमें पकावै ॥ १३ ॥ पीछे त्रायमाणका रस १६ तोले आमलेका रस १६ तोले दूध १६ तोले घृत १६ तोले और एक एक तोलाभर कुटकी जीवंती धमासा ॥१४॥ नागरमोथा मुसली शिवलिंगी वनप्सा चंदन कमल इन्होंके कल्कोंको मिला पकावै, यह घृत पूर्वोक्त सब गुणोंको करताहै ॥ १५ ॥ द्राक्षा मधूकं खरं विदारी सशतावरी॥पुरूषकाणि त्रिफला तत्काथे पाचयेघृतम् ॥ १६ ॥क्षीरेक्षुधात्रीनि-से प्राणदा कल्कसंयुतम् ॥ तच्छीतं शर्कराक्षौद्रपादिकं पूर्ववद्गुणैः ॥१७॥ दाख मुलहटी खजूर विदारीकंद शतावरी फालसा त्रिफला इन्होंके काथमें ॥१६॥ दूध ईखका रस आमलाका रस हरडैका कल्क इन्होंसे संयुक्त किये घृतको पकावै शीतल होनेपै चौथाई भाग खांड और शहदसे संयुक्त करै, यह घृत पूर्वोक्त गुणोंको करता है ॥ १७ ॥ हरेच्छृङ्गादिभिरसक्छिरया वा यथान्तिकम् ॥ विद्रधि पच्यमानं च कोष्ठस्थं बाहरुन्नतम् ॥ १८ ॥ ज्ञात्वोपनाहयेच्छूले स्थिते तत्रैव पिण्डिते॥हृत्पार्श्वपीडनात्सुप्तौ दाहादिष्वल्पकेषु. च ॥ १९॥ पक्कः स्याद्विद्रधि भित्त्वा व्रणवत्तमुपाचरेत् ॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020074
Book TitleAshtangat Rudaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVagbhatta
PublisherKhemraj Krishnadas
Publication Year1829
Total Pages1117
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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