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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (४९०) अष्टाङ्गहृदये पीपलीके कल्कको ॥ १४ ॥ कुलथीके रसमें भिगोय पान करावे, यह कफकी खांसीको नाशता है और २५६ तोलेभर दशमूलके काथमें ६४ तोले व्रतको पकावे और पकनेके वख्तएक एक तोलेभर ॥५५॥ पोहकरमूल कचूर बेलगिरी तुलसी सूंठ मिरच पीपल हींगके चूर्णको मिलाके पकावे यह घृत वात और कफके रोगोंको नाशताहै, इसपै पेयाका अनुपानहै ॥ ५६ ॥ निर्गुण्डीपत्रनिर्यासासधितं कासजिघृतम् ॥ घृतं रसे विडङ्गानां व्योषगर्भञ्च साधितम् ॥ ५७॥ सँभालूके पत्ते और निर्यासमें सिद्ध किया घृत खांसीको जीतताहै तथा बायविडंगके रसमें झूठ मिरच पीपलके कल्कमें साधितकिया घृत खांसर्साको जीतताहै, और संभालू के पत्तोंके निर्यासमें साधित घृत खाँसीको जीतताहै ।। ५७ ॥ पुनर्नवशिवाटिकासरलकासमर्दामृतापटोलबृहतीफणिजकरसैः पयःसंयुतैः॥ घृतं त्रिकटुना च सिद्धमुपयुज्य सञ्जायते न कास विषमज्वरक्षयगुदागरेभ्यो भयम् ॥ ५८॥ साँठी हरडै टिका सरल कसोंदी गिलोय परवल बीकटेहली श्वेतमरवा इन्होंके रसमें दूध मिलाय और सूठ मिरच पीपलका कल्क मिलाय तिसमें सिद्धकिये घृतको उपयुक्त करनेसे खांसी विषमज्वर क्षय गुदाके अंकुरसे भय नहीं होता है ॥ ५८ ॥ समलफलपत्रायाः कण्टकार्या रसाढके॥ घृतप्रस्थं बलाव्योषविडङ्गशठिदाडिमैः॥ ५९॥ सौवर्चलयवक्षारमूलामलकपौष्करैः॥ वृश्चीवबृहतीपथ्यायवानीचित्रकाभिः ॥ ६०॥ मृद्वीकाचव्यवर्षाभूदुरालम्भाऽम्लवेतसैः॥ शृङ्गीतामलकीभाजी रास्नागोक्षुरकैः पचेत् ॥६१ ॥ कल्कैस्तत्सर्वकासेषु श्वासहिध्मामुचेष्यते ॥६२॥ मूल फल पत्रसे सहित कटेहलीके २९६ तोलेभर रसमें ६४ तोले घृत और घृतसे चतुथांश प्रमाण करके खरेहटी सूंठ मिरच पीपल बायविडंग कचूर आनरकी छाल ॥ ५९॥ कालानमक जवाखार मूली आंवला पोहकरमूल सफेदशाटी बडी कटेहली हरडै अजवयान चीता ऋद्धि ॥६०॥ मुनक्का दाख शांठी चव्य धमासा अम्लवेत काकडासिंगी मुसली भारंगी रायसण गोखरू इन्होंके कल्कोंकरके घृतको पकावै ॥ ६१ ॥ यह घृत सर्वप्रकारकी खासियोंमें और श्वास हिचकीमें हितहै ॥ ६२ पचेयाघ्रीतुलां क्षुण्णां वहेपामाढकस्थिते ॥६३ ॥ क्षिप्तेपूते त संचूर्ण्य व्योषरास्नामताग्निकानाशीभाघिनग्रन्थिधन्व For Private and Personal Use Only
SR No.020074
Book TitleAshtangat Rudaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVagbhatta
PublisherKhemraj Krishnadas
Publication Year1829
Total Pages1117
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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