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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Acharya Shri Kallassa .. उत्तरस्थानं भाषाटीकासमेतम् । (१००७) सिन्दुवारकघाटवरागम्॥४॥ पित्तकफानिललूताः पानाञ्जननस्यलेपसेकेन ॥ अगदवरा वृत्तस्थाः कुमतीरिव वारयन्त्यते॥५॥ और नेत्रवाला विकंकत अनंतमूल नागरमोथा जांटी चंदन पीलालोध शेवाल नीलाकमल तगर मुलहटी दालचीनी साक्षी पद्माक मैनफलका गूदा ॥.८२ ॥ यहांतक हलदी नागरमोथा साक्षी पीपल झूठ पीपलामूल चीता वरणा अगर वेलागरी पाटला नींब हेसवा केशर ॥ ८३॥ यहांतक वेलगिरी चंदन तगर कमल सूंठ पीपल जलवेत वेत कूट आंवला त्रयमाण भारंगी संभालू नखी दालचीनी||८४॥यहांतक, पित्त कफ वायु इन्होंकी मकडियोंके विषको पान अंजन नस्य लेप सेकसे श्लोकोंमें स्थितहुये श्रेष्ठरूप ये तीनों औषध निवारित करतेहैं जैसे अच्छेउपदेश कुत्सित बुद्धिको ८५॥ रोधं सेव्यं पद्मकं पद्मरेणुः कालीयाख्यं चन्दनं यच्च रक्तम् ॥ कान्तापुष्पंदुग्धिनीका मृणालं लूताः सर्वानन्ति सर्वक्रियाभिः ८६ लोध कालावाला पद्माक कमलकी रज पीतचंदन लालचंदन मेहदीके फूल रक्तऊगा कमलकी डंडी ये संब पान आदि क्रियाओंसे सब प्रकारकी मकडियोंको नाशतेहैं ।। ८६ ।। इति बेरीनिवासिवैद्यपांडतरविदत्तशास्त्रिकृताऽष्टांगहृदयसंहिताभाषाटीकाया मुत्तरस्थाने सप्तत्रिंशोऽध्यायः ॥ ३७ ।। अष्टत्रिंशोऽध्यायः। अथातो मूषिकालर्कविषप्रतिषेधमध्यायं व्याख्यास्यामः । इसके अनंतर मूषिकालर्कविषप्रतिषेधनामक अध्यायका व्याख्यान करेंगे । लालनश्चपलः पुत्रो हसितश्चिकिरोजिरः॥ कषायदन्तः कुलकः कोकिलः कपिलोऽसितः॥१॥ अरुणः शबलः श्वेतः कपोतः पलितोन्दुरः॥ . छुच्छुन्दरी रसालाख्यो दशाष्टौ चेति मूषिकाः ॥ २॥ लालन चपल पुत्र हसित चिकिर अजित कषायदंत कुलक कोकिल कपिल असित ॥ १ ॥ अरुण शबल श्वेत कपोत पलिता उंदुर छुच्छंदर रसालाख्य ये अठारह मूषिकाहैं ॥ २॥ . शुक्रं पतति यत्रैषां शुक्रदिग्धैः स्पृशन्ति वा ॥ यदङ्गमङ्गैस्तत्रास्त्रे दूषिते पाण्डुतां गते ॥ ३॥ ग्रन्थयः श्वययुः कोथो मण्डलानि भ्रमोऽरुचिः॥ शीतज्वरोऽतिरुक्सादो वेपथुः पर्वभेदनम् ॥४॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020074
Book TitleAshtangat Rudaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVagbhatta
PublisherKhemraj Krishnadas
Publication Year1829
Total Pages1117
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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