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________________ एसिडम क्रेसीलिम् १७६ एसिडम् क्रोमिकम् प्रभाव के कारण यह प्रसूतोपचार में परमोपयोगी | एसिडम-क्राइसोफेनिकम-[ले. acidum-chrहै । विसपे ( इरीसेपलस) नामक रोग में इसका y so-phanicum ] दे॰ “अरारोबा"।। मलहम लगाने से लाभ होता है। एसिडम-क्रोमिकम-[ ले० acidum-chromi(५) पियरसन्स-ऐण्टिसेप्टिक Paars- | cum ] क्रोमिकाम्ल । हम्जुल्क्रोमिक । हामि.ज़on's antiseptic-पियरसन महाशय का क्रोमिक । तेज़ाब-क्रोमिक । क्रोमिक अन्हाइड्राइड कृमिनाशक द्रव । जेज़फ्लुइड की तरह यह भी एक | Chromic anhydride, क्रोमिक एसिड प्रकार का यौगिक है। Chromic acid.-(अं०)। (६) युरोफेन Europhen-यह एक संकेत-सूत्र Cr 3. सूक्ष्म पीताभ गंदुमो रंग का चूर्ण है जिसे शर्बत ऑफिशल Official में मिलाने से सुगंध आती है। यह प्रायडोफार्म निर्माण-विधि-पोटाशियम् बाई क्रोमेट पर की प्रतिनिधि है। इसे चूर्ण ('owder) गंधकाम्ल की क्रिया द्वारा यह तेज़ाब प्राप्त वा मलहम रूप में प्रयोगित किया जाता है। होता है। नोट-यह जल और ग्लीसरीन में तो अवि- लक्षण-इसके गंभीर रक्रवर्ण के सूचीवत् लेय है; पर एलकोहल, क्लोरोफार्मशोर ईथर में सर- बारीक कण होते हैं जो वायु में खुला रखने से लतापूर्वक विलेय होता है। पिघल जाते हैं। (७) लोसोफान Losopha ]]-यह एक विलेयता-लगभग दो भाग यह अम्ल एक श्वेत वा पीताभ श्वेत चूर्ण है जो जल, भाग जल में विलीन होजाता है। किंतु मद्यसार में एलको हल, ईथर और कोरोफार्म में विलीन हो | मिलाने से इसके अवयव वियोजित होजाते हैं। जाता है। प्रभाव-विशुद्ध क्रोमिक एसिड भक्षक वादाहक (८)टामेटोल Traumatol-इसको (cor osive), पचननिवारक ( disinfectआयडोक्रेसोल भी कहते हैं। यह दोनों यौगिक ant) और दुर्गन्धनाशक है। क्रोसोल और प्रायोडीन के यौगिक हैं, जो प्रायडो ___ सम्मत योग फार्म को जगह काम में आते हैं । (Official preparations.) लाइकर-एसिडाई-क्रोमिसाई ( Liquor(E) लाइसो(जो)ल Lysol-यह एक Acidi-chromici (ले०)। सोल्युशन ऑफ स्वच्छ भूरे रंग का शर्बती द्रव है जो जल के क्रोमिक एसिड Solution of chromicसाथ मिलकर एक साफ सोल्युशन का निर्माण acid (अं०)। क्रोमिकाम्लीय-द्रव(हिं०) साइल करता है । इसके एक प्रतिशत विलयन (६ से हम्ज ल्क्रोमिक । साइल तेजाब-क्रोमिक । १२ घन शतांशमीटर की मात्रा में ) का मस्तिष्क निमाण-बिधि-१ औंस क्रोमिक एसिड को सौषुम्न-प्रदाह रोग में सुषुम्ना के भीतर सूचीवेध ३ श्रोस परिस्र त जल में घोल लें। शक्ति-इसमें करते हैं । इसका जलीय विलयन (२०/०) योनिप्रक्षालनार्थ ( Vaginal douch ) और व्रण, २५ प्रतिशत क्रोमिक-एसिड होता है और इसका शस्त्रादि के धावन के लिये शल्य चिकित्सा में प्रापेक्षिक भार ११८५ होता है। अाजकल अधिक प्रयुक्त होता है । फार्माकोलाजी अर्थात् क्रोमिक एसिड के प्रभाव-बहिःप्रभाव-विशुद्ध क्रोमिक एसिड नोट-यह भी लुक से प्राप्त होता है और अतिशय प्रबल प्रदाहक है । इससे ऑक्सीजन गैस फीनोल तुल्य गंध देता है। सरलतापूर्वक पृथक् होजाता है और यह निम्न (१०) सॉलवियोल Solveol-यह भी कोटि के कीटाणुओं को नष्ट कर देता है । अस्तु, क्रीसोल का एक यौगिक है जो दाहक नहीं होता । यह अत्युत्तम निःसंक्रामक (Disinfec tant) इसको शस्त्र-कर्म में प्रयोगित करते हैं। एवं दुर्गन्धनाशक है।
SR No.020062
Book TitleAayurvediya Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1942
Total Pages716
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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