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________________ करोई २२६४ करोया (३) फल को जल के साथ घिसकर अंजन करोटनिस ऑलियम्-ले० Crotonis oleum), करने से आँखों का रोहा नष्ट होता है। जमालगोटे का तेल । रोगन जमालगोटा । जयपाल (४) इसके सूखे कँटीले फलों को लेकर जौ ' तेल । के साथ प्रोखली में छाँटे । जब उनके ऊपर के करोटि-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री० ] खोपड़ी। शिरोस्थि । काँटे दूर हो जाये तब उनको (कंटक शून्य फल) करोटियो- गु.] Cardiospermum haliपानी में डाल देवें मुलायम होने पर इन्हें सूत में caca bum. Linn. हब्बुल कुलकुल । पिरोकर माला बना रोहाक्रांत शिशुओं के गले में कारवी । लताफटकरी। धारण कराने से उनके आँखों के रोहे सूख करोटिका, करोटी-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री.] खोपड़ी। जाते हैं। शिरोऽस्थि । खोपड़ी की हड्डी । करोटि । (५) रोहे का स्वकृत उत्कृष्ट प्रयोग- | करोटिगुहा-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री.] (Cranial करोनी का फल १ तो०, कपूर १ मा०, रस- cavity ) अ० शा० । कपूर २ रत्ती, छोटी इलायची के दाने २ मा", | करोटी-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री.] खोपड़ी। Craहलदी २ मा०, सोये के बीज १ मा०-इनको rium. बारीक चूर्ण कर गुलाबजल में खूब मर्दन कर करोटि- जर• Karotti] गाजर । टिकियाँ बना लेवें । आवश्यकतानुसार १ टिकिया | करोट्रि कल्टिवी-Eio Carotte Cultive] लेकर गुलाबजल में घिसकर आँख में अंजन करें। गाजर। दिन में केवल २-३ बार के प्रयोग से दो-तीन | करोट्यल्लोच-संज्ञा पुं॰ [सं० पु.] ( Epicraदिन में ही बिना किसी तकलीफ के रोहे माराम ___nial aponeurosis.) अशा । हो जाते हैं । और रोगी सुखानुभव करता है। करोड़ कंद-संज्ञा पुं० [हिं० करोड़-करोटि सं० कंद] करोई-संज्ञा स्त्री० [ देश०, बम्ब० ] Strobilan ___ सूरन । thes callosus, Nees. करवी। मरो- करोडिओ-[ गु०] करोटियो । कानफटा । कानफुटी । दना। ___ कर्णस्फोटा । पारावतपदी। करोकस, करोलस, करोनस, कर्फियूनूस-[ यू०] | करतनः-[फा०] दे॰ “करूतनः" । केसर । जाफरान । करोत्तम-संज्ञा पुं० [सं० पु. ] मद्यमण्ड । करोकुरना-[१] मेंहदी का फूल । करोट-संज्ञा पुं० [सं० पु.] [ स्त्री० करोटी ] करोत्तानिनी पेशी-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री.] हाथ को खोपड़े की हड्डी । खोपड़ा। रा०नि० व. १८। चित करने वाली एक पेशी । ( Supinator Cranium. muscle)प्र. शा० । अ० शा० । करोटक-संज्ञा पुं० [सं० पु.] एक प्रकार का | करोदक-संज्ञा पुं॰ [सं० वी०] हाथ में रखा या पदा साँप । हुमा पानी । हस्त मृत जल । कराटन-संज्ञा पु० [अं० क्रोटन Croton] (1) | करोफ़स-[यू०] अखरोट । वनस्पतियों की एक जाति जिसके अंतर्गत अनेक | करोभक-[१] सफ़ेद कलवा । वृक्ष और पौधे होते हैं । इस जाति के सभी पौधों | | करोमान:-अ.] में मंजरी लगती है और फलों में तीन या छः बीज | निकलते हैं । इस जाति के कई पेड़ औषधि के | करोमोंगा- ते०] कमरख । कर्मरंग । काम में भी आते हैं। रेंडी और जमालगोटा इसी | करोय:-[फा०, द..] करोया । जाति के पेड़ हैं । (२) एक प्रकार के पौधे जो | करोया-संज्ञा पुं॰ [मुश्र०] एक प्रकार का स्यार अपने रङ्ग बिरंग और बिलक्षण आकार के पत्तों के जीरा | कृष्णजीरक भेद । विलायती काला जीरा । लिए लगाए जाते हैं। दे. "कुरोया"।
SR No.020062
Book TitleAayurvediya Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1942
Total Pages716
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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