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________________ करोंटा करेला २२६१ • मैथुन शक्रि और स्तम्भन शनि वर्द्धित हो जाती | फलहै। उन दोनों प्रकार के करेले (बाड़ी एवं जंगली) हिमं भेदि लुघुस्तिक्त प्रवातलं पित्त रक्त एतद्गुण विशिष्ट होते हैं । ख. अ.। कामला पाण्डु कफमेह कृमिघ्नम्। (मद०) करेला (उच्छे) गाछ-[बं०] करेला। करेली का फल-शीतल, दस्तावर, हलका, करेला तोरिया-संज्ञा स्त्री० [ देश० ] कड़वी तरोई । कड़वा, पित्तनाशक, रनविकारनाशक तथा कामला तिक कोषातको । घोषा:लता । पाण्ड, कफ, प्रमेह और कृमि इनको नष्ट करने करेलिया-[ देश] हुलहुल । सफेद हुलहुल । वाला है और वातकारक नहीं है। करेली-संज्ञा स्त्री० [हिं० करेला, सं० कारवेल्ली] जंगली कारवल्ली स्याद्विशेषाद्दीपनी लघुः। (भा०) करेला जिसके फल बहुत छोटे छोटे और कड़ए करेली विशेषकर दीपन और हलकी है। मदनपाल में इसे कामलानी तथा केयदेव करेली-संज्ञा स्त्री० [हिं० करेला छोटा करेला जिसके में वातहारक लिखा है। यह अवृष्य, रक्रपित्त फल बहुत छोटे छोटे और कड़ ए होते हैं। ये नाशक, कृमि, पांडु तथा वणनाराक ओर काप्त करेले से छोटे गोलांडाकार होते हैं। श्वास, प्रमेह, कुष्ठ, अध्म भोर ज्वर नाश करने पर्या–कारका (कारली ), कारवल्ली, चीरि वाली है। पत्रः, कारिखका, सूक्ष्मवल्ली, कण्टफला, पीतपुष्पा, | करेल्लु, कारल्ल-[ मरा०] तिल तिल्ली । अम्बुबल्लिका । (ध. नि०) कारवेली (भा०) करेवर-संज्ञा पुं॰ [सं० पु.] शिलारस । तुरुष्क । मण्डपी चिरितच्छदा (नि०शि०) सुकुमारी, | करेश लांगएिण-[ता. ] मैंगरा । भैंगरैया। . सुषवी, तोयबलफला, अखिली (के० दे०), कर अम्कौले गिडा-[ कना०] काला ढेरा । . करिन, कारवेल्लं (द्रव्य० नि०) फलास्मिका, करैत-संज्ञा पु० [हिं० कारा, काला ] काला फनदार राजवल्ली (गण. नि०) शुद्रकारवेल्लक, मुद्रकार- साँप जो बहुत विषैला होता है। वेल-सं० । करेली, छोटा करेला-हिं० । छोटा | करैर का तेल-संज्ञा पु० करैल का तेल । करला. उच्छे. छोट उच्छे-बं० । मोमोर्डिका म्यरि | करैल-संज्ञा स्त्री० [हिं० कारा, काला] (१) एक केटा Momordica muricata,-ले। प्रकार की काली मिट्टी जो प्रायः तालों के किनारे काकरकाया-तेलघु कारली, शुद्रकारली-मरा० । मिलती है। (२) वह जमीन जहाँ की मिट्टी कड़वा वेला-गु० । हागल-कना । काकरकाया करैल वा काली हो। संज्ञा पुं॰ [सं० करीर] (१) बाँस का नरम कल्ला । (२) डोम कौश्रा।। (N. 0. Cucurbitacece.) [बं०] Dendrocal mus strictउत्पत्ति स्थान-समस्त भारतबर्ष । us, Nees. गुणधर्म तथा प्रयोग करैला-संज्ञा पुं० दे० "करेला"। आयुर्वेदीय मतानुसार करैली-संज्ञा स्त्री० (१) कचिला मिट्टी। दे० कारवल्ली सुतिक्तोष्णा दीपनी कफवातजित् ।। ____ "करेली" . करैलो-[ गु० ] करेला। अरोचकहरा चैवं रक्तदोषकरी च सा" ॥ (रा. नि.) करैली मिट्टी-संज्ञा स्त्री० दे० "करैल" । अवृष्या रुच्या कफपित्तघ्नी च । (राज.) | करो-[?] ककरोहन । पथुप्रा । (२) सफ़ेद सिरस करेली-कड़वी, गरम, दीपन, कफ एवं वात | (३) गुटगुटी । पटोल । परवर । नाशक, अरुचि को दूर करनेवाली और रक्तविकार | करोंझा-[ मरा०] अजमोदा । राँधनी । उत्पन्न करती है। करोंटा-[ मरा०] बड़ा गोखरू । ते । कुष्माण्ड वर्ग
SR No.020062
Book TitleAayurvediya Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1942
Total Pages716
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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