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________________ करनी २२०४ करप.सतरी करनी-संज्ञा स्त्री० [?] एक प्रकार का फूल । यथासंज्ञा स्त्री॰ [ देश काश०] साँवा । श्यामक । "करपाद विदाहश्चावयवानां च शेषकृत् । करनीमरम्-[ ता.] खरसंग । मध्ये पित्तस्य तृष्णास्यात् करपादे च पैत्तिके।" करनूब-[ देश. (उ. प. प्रां.)]Caratama बसवरा०७० silliqua करपान-संज्ञा पुं॰ [देश॰] एक चर्मरोग जिसमें करनूस-[रू.] हाऊबेर । अरश्रर । बच्चों के शरीर पर लाल लाल दाने निकल करनूस कालून-[रू.] चिलगोज़ा । पाते हैं। करनह-मुअ०] गोलमिर्च के बराबर एक दाना। | करपाल-संज्ञा पु[सं० पु.] खग। तलवार । ___ हरनूह । खड्ग । इसमें एक ही ओर धार रहती है। करन:-[अ०] सींग | शृंग। करपालिका-सज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री.] एक प्रकार का करन्तिया-[सिरि० ] पुदीना । अत्र जिसमें एक ही धार हो । छुरा । करन्तिया दरी आस-) श्र०टी० सा०। सिरि० ] नहरी पुदीना । करन्तिया रमिया | क (का)रपासम्-[ते. ] कपास । करन्तियाव तूरा-[सिरि० ] पहाड़ी पुदीना । करपिप्पलो-संज्ञा स्त्री॰ [] जंगलो पीपल । करन्तिया वफज ला-[सिरि• खेत का पुदीना । करपिंवा-[सिंगा० ] सुरभिनिंबु । कहो नोम । करन्तिया वेरा-[सिरि० ] जंगली पुदीना। करपोड़न-संज्ञा पु० [सं० की.] विवाह । पाणिग्रकरपत्र (क)-संज्ञा पु। सं० ली.] कराँत । हण । क्रकच । सु. सू०८ अ०। यह सुश्रुत-वर्णित करपुट-संज्ञा पुं॰ [सं० पुं०] दोनों हथेलियों को बीस प्रकार के अस्त्रों में से एक अस्त्र है। इसके ___ मिलाकर बनाया हुमा संपुट । अंजलो । अंजुरी। द्वारा छेदन और लेखन कर्म किया जाता है। करपुष्प-[ते. ] वन प्राईक । जंगली अदरक । करपत्रवान्-संज्ञा पुं॰ [सं० पुं. करपत्रवत् ] ताड़ (Zingiber cassumunar,Roxb.) का पेड़ । तालवृक्ष । श. च० । करपृष्ठ-संज्ञा पुं॰ [स० क्ली० ] हथेली के पीछे का करपत्रिका-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री.] (१) जल- भाग : करभ । क्रीड़ा । जटा० । (२)तिलपर्णी।। | करपोक रिशि-[ता० ] वकुची । वावची । करपर-संज्ञा स्त्री० [सं० कर्पर ] खोपड़ी । कर्पर । करप्पु डामर-ता.] (Canarium Strictकरपरी-सज्ञा स्त्री० [ देश० ] पीठो को पकौड़ी। ___um ) काला डामर । बरी । मुंगौरी-मेयौरी। करपुकोङ्गिलियम्-[ ता. ] काला डामर । करपर्ण-संज्ञा पुं० [स० पु.] (१) भिंडी का करपुलि-[म० ] पंजीरी का पत्ता । पौधा । भिंडा वृक्ष । रा० नि० व० ४ । (२) करफ़-[१०] बीमारी का नज़दीक होना । रोग लाल रं । रक्कै रण्ड । रा०नि० व० । प्रगट होना। करपर्णी-संज्ञा० स्त्री० [सं० स्त्री० ] भेण्डा । भिण्डी। करफ़रोस-[१] हिना । राम तरोई। करफियून-[यू०] कबाबचीनो। करपल्लव-संज्ञा पुं॰ [सं० पु] (1) उँगली । करफूल-संज्ञा पुं॰ [हि० कर+फूल ] दे० "दौना" । 'अंगुली । शब्दकल्प० । (२) हस्त । हाथ। करफश-[फा०] दे. "करफ़्स"। करपक्ष-संज्ञा पुं॰ [सं० पु.] चमगीदड़ आदि। करफ स-[फा०] करफ़्श से मु.] अजमोदा । करपात्र-संज्ञा पुं॰ [सं० वी० ]) जलक्रीड़ा। करफ स अजामी-[१०] करप्स माई । करपत्रिका-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री.] हारा। | करफ्स कोही-[फा०] अजमोदा । करपाद-पित्त-संज्ञा पुं॰ [सं० क्री.] पित्त जन्य एक करफ स जबली-[१०] पहाड़ी करप्स । रोग । इस रोग में हाथ पैर में जलन होती है । | करफ.सतरी-[फा०] शमीरनियून ।
SR No.020062
Book TitleAayurvediya Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1942
Total Pages716
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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