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________________ कब्कंजीर-[फा०] तीतर का नाम । कब्बूक-[फा०] चकावक । ककदरी-[फा०] धूमिल रंग का एक विशेष पती। कब-संज्ञा पुं॰ [अ०] दे॰ "कबर"। जो मोर पक्षी से बड़ा होता है और उस पर छोटी- कन:-[ तु० ] कब्र । करील | छोटी सफेद रखाएँ होती हैं। यह प्राकार में चकोर | कब्रगी-[ देश० कर्ना० ] मरोडफली । तीतर के बराबर होता है। किसी-किसी के मत से | कब्रबा-[फा० कब+बा-पाश ] करील के फल द्वारा यह तहरद-लवा का नाम है। निर्मित पाश । धन काथ। कवरवा । कबरवा । कब्कून फ्रा०] तीतर । दुर्राज । कबवा। कञ्चीयंत्र-संज्ञा पुं० [सं० कवचीयन्त्रम् ] औषध | कब्रा-संज्ञा पुं॰ [ देश० पं०] करीर । कबरा । पाक-यंत्र विशेष । दे० "कवचीयन्त्र"। कब्राजुवी (-ई)-[ते. ] जियापोता । पुत्रजीवक । कब्ज-[फा. 'कडक' का मुत्र०] चकोर । कब्राबेर-संज्ञा पुं॰ [देश॰] कबरा । कौर । कब्ज़-संज्ञा पुं० [अ० का ज़ः] (१) ग्रहण । (Cadaba Murayana, Grahan) पकड़ । अवरोध । सिमटाव । (२) दस्त का | ई० मे० नां। साफ न होना । पेट का गुंग होना । मलावरोध । कब्रियः-१०] प्राण । टेंटी। (३)कसेला स्वाद कषाय । कब्ज़ा -संज्ञा पुं० [अ० कब्ज़ः] (१) इतना कबी-१ अंजदान के पत्ते । जितना कि एक मुट्ठी में पा जाय । मुट्ठी भर | कबीत-[अ० ] टेंटो निर्मित पाश । ( Handful, Pugil.)। (२) दंड। कब्ल-[तु.] बाल । रोग । भुजदंड । डाँड । बाजू । मुश्क । बकरा। कब्जियत-संज्ञा स्त्री० [अ०] पायखाने का साफ़ न | कब्श-[१०] मेंढा। माना । मलावरोध । कन्स-[१०] दबाना । हँसना । भरना । पाटना । कब्द. कब्दा-[फा०] भवरेशम । कन्सः-[अ० उतना जितना दो उँगलियों के सिरे कब्दः-अ.] खजंतुल्हब्ब। ____ में समाए । चुटकी भर। कन्न:-[३०] सूखी रोटी। कब्सून-[यू.] एक अप्रसिद्ध औषधि जो अफरीका कमात-[१] दरिया की सीपी। __ में पैदा होती है। कब्ब-[अ० इसका उल्टा बरह ] धात्वर्थ उलट देना। कम्-[सं० अध्यय] (१) मस्तक । श. चि.। औंधा या पट करना । यूनानी वैद्यक में हाथ को (२) जल । पानी । (३)मुख । पट या नौंधा करना अर्थात् हथेली को ज़मीन की | कमंगर-संज्ञा पुं० [फा० कमानगर ] हड़ियों को तरफ करना । ( Pronation ) बैठानेवाला। कब्ब-[१०] चूतड़ की हड्डी। दोनों चूतरों के बीच कमंजी-[ ता०] खाजा । की उभरी हुई ड्डी। Sacrum | | कमंडल-संज्ञा पु. दे. कमंडलु"। कब्ब:-[अ.] तीव्रता । सख़्ती । जाड़े की तीव्रता। कम-[फा०] कताद का पेड़ । गुलू । कम्बगुम्मुडु-[ते. ] निलक कुमिज । क्रमअ-[?] अंगूर प्रभृति की टोपी जो उभार की कब्बर-[पं०] दूब । ____तरह की होती है। [सिं०] झाल । खरकनेला । कमक-[?] एक चिड़िया | बहरी। कब्बिण-[ कना०] लोहा। क्रमकरीश-अ.] छोटे सनोबर के बीज । कब्बिणद-किलुबु (किट्ट)-[ कना० ] मंडूर । लौह- क्रमकाम-[१०] जमजूं। किट। कमकाम-[अ०, क्रन्ती, फ्रा०] ज़रू (लोवान) कब्बु-कना० ] ईख । ऊख । गना । वृक्ष की गोंद वाहिलका वा ज़रू का पेड़। कब्बुमिश्क-[३०] लता कस्तूरी । मुरकदाना। कमकी-संज्ञा स्त्री० [?] अज्ञात । ५.फा.
SR No.020062
Book TitleAayurvediya Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1942
Total Pages716
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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