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________________ कपूर २११६ कपूर प्यास, दाह, रक्तपित्त और कफनाशक है। भावप्रकाश तथा राजनिघण्टु के अनुसार भीमसेनी कपूर रस एवं पाक में मधुर, वातपित्तनाशक, शीतल, वृंहण और वल्य है। शङ्करावास कपूर के गुण ईशावास कपूर रेचक, वृष्य, मदनाशक, ( नशे | को दूर करनेवाला ) और अत्यंत शुभ्र है। यह | उन्माद, तृषा, श्रम, कास, कृमि, क्षयरोग तथा स्वेद और अंगों के दाह को दूर करता है । (नि० र०) हिमकपूर (हिमकपूरकः) यह शुभ्र, वीर्यजनक, शीतल, रस में चरपरा, ... तथा तृषा, दाह, मोह, एवं स्वेद को दूर करता है। (नि०र०) उदयभास्कर कपूर के गुणयह एक प्रकार का पक्क कपूर है जो सदल निर्दल भेद से दो प्रकार का होता है। यह पीला रेचक, निर्मल, कठिन, कटु, अग्निदीपक, लघु लक्ष्मीदायक, पित्तकारक तथा कफ, कृमि, विष, में वात; नासाश्रुति नाक से जल बहने, लालास्राव, " मुख से लार बहने, गलग्रह और जिह्वा की जड़ता ___ को नष्ट करता है। यथा.. "पीतःसर: स्वच्छक: सम्प्रोक्त: कठिनः कटुः समुदित: स्याहीपकोऽग्नेर्लघुः । श्रीदः पित्तकरः कफ कृमि विषात् वातश्च नासाश्रुति लालास्राव . गलग्रहौ च शमयेत् जिह्वाजड़त्वापहः ." (वै निघ० । नि० र०) . पर्ण कपूर के गुण (पान कपूर, पत्री कपूर) | यह तिक, शोधक, उन्मादकारक तथा मूत्ररोग | - पीनस और दाह निवारक है। (नि० र०) चीनिया कपूर चीनक: कतिक्तोष्ण ईषच्छीत: कफापहः।। कंठदोषहरो मेध्य: पाचन: कृमिनाशनः ॥ (रा० नि० १२ व०) चीनक-चीनिया कपूर कडु श्रा, चरपरा, उष्ण वीर्य, कुछ कुछ ठंढा तथा कफनाशक है और कंठदोषहर, मेधाजनक, पाचक एवं कृमिघ्न है। चीनाकसंज्ञः कपूरः कफक्षयकरः स्मृतः।" कुष्ठकंडू वमिहरस्तथा तिक्तरसश्च सः ।। (भा० पू० खं० ३ व०) चीनिया कपूर को संस्कृत में चीनाक कपूर कहते हैं। यह कफ को नष्ट करनेवाला तथा कुष्ठ, खुजली और वमन को भी दूर करनेवाला होता है एवं तिक रस से युक्त होता है। कपूर तेल कपूर तैल हिम तैल शितांशु तैल शीताभ्र तैल तुहिनांशु सुधांशु तैलम् । कपूर तैल (लं) कटुकोष्ण कफामहारि वातामयध्न रद दाढयद पित्तहारि॥ (रा. नि० १५ १०) कररतैल,हिमतैल,शितांशुतैल,तुहिनांशु,शिताभ्र तैल सुधांशुतैल ये कप रतैल(Camphoroil) के संस्कृत पर्याय हैं । कपूर का तेल चरपरा, गरम कफ और आमनाशक, वातरोगनाशक, दाँतों को दृढ़ करनेवाला ओर पित्तनाशक है। शीतांशु तैलमाक्षेप शमनं वायुनाशनम्। , स्वेदनं शूल हृच्चोग्रं ज्वरघ्नं कफनुत्परम् ।। आमवाते तथाध्माने ज्वरे च शिरसो गदे। दन्तरोगे च भग्ने च द्वैपेयं परियुज्यते ॥ (प्रा० सं०) कपूर का तेल-श्राक्षेप को शांत करनेवाला, वातनाशक, स्वेदक, शूलनाशक, उग्रज्वर और कफ का नाश करनेवाला तथा प्रामवात, आध्मान, ज्वर, शिरोरोग, दंतरोग और भग्न रोग में कपूर तैल बरतना चाहिये। ___ कपूर तैलं कटुकं चोष्णं पित्तकरं मतम् । दंतदाढयप्रदं चैव कफवान विनाशकम् ।। (नि०र०) कपूर का तेल-चरपरा, गरम, पित्तकारक, दाँतों को दृढ़ करनेवाला और कफवात विना वैद्यक में कपूर के व्यवहार चक्रदत्त-सद्यः शस्त्र-क्षत पर कपूर-शरीर के किसी भाग के शस्त्र से कट जाने पर तत्तय
SR No.020062
Book TitleAayurvediya Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1942
Total Pages716
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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