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________________ २११४ दोनों को रगड़ कर मिला लें। यह एक अतीव प्रभावकारी पचननिवारक तैलीय द्रव बन जाता है। इसे कारकुल ( शब चिराग़, फोड़ा विशेष ) इंद्र वागंज (Tinea ) पर लगाने से एवं जब मध्यकर्ण में पीब पड़ गई हो तो उसे साफ कर उसमें इसे डालने से बहुत उपकार होता है। कैम्फर सैलिसिलेट Camphor Salica ylate ( कैम्फोसिल Camphossil ) भी एक उसी प्रकार का ठोस पदार्थ है, जो ७ भाग कपूर को ५ || भाग सैलिसिलिक एसिड के साथ उत्तप्त करने से प्रस्तुत होता है । इसे गंज (Tinea ) रोग में खोपड़ी की खालपर वा सपूय व्रणपर इसका मलहम लगाया जा सकता है । १ से ५ प्रोन की मात्रा में वटी रूप में इसका मुख द्वारा प्रयोग किया गया है। समभाग कपूर और क्लोरल हाइड्रेट को उत्तप्त करने से एक प्रकार का द्रव प्राप्त होता है जिसे "क्लोरल कैम्फर" कहते हैं । यह स्थानीय श्रवसन्न ताजनक है और वेदना पूर्ण वात नाड़ियों पर इसे लगाते हैं । समभाग कपूर तथा थाइमल वा रिसासन को एक उत्तप्त करने से एक प्रकार का तैलीय द्रव प्राप्त होता है, जिन्हें क्रमशः थाइमल कैम्फर और रिसासन कैम्फर कहते हैं । ये लगाने की प्रवल रोगाहर श्रौषध हैं । (१५) इलेक्शियो कैम्फोरी हाइपोड मका Injectio Camphore Hypoder mica ) - ले० | कपूर का स्वगधः श्रन्तःक्षेप | योग — कर्पूर १ भाग, जीवाणु रहित वा विशोधित जैतून तेल ५ भाग पर्यन्त । मात्रा - १० से ३० बूँद वा ( ० ६ से २ घन शतांश मीटर ) । (१६) कार्डियाज़ोल (Cardiazol ) पेंटामीथिलीनटेट्राज़ोल Pentamethylene tetrazol ) - ले० । एक जल विलेय मिश्र योग, जो प्रभाव में कपूर के सर्वथा समान, पर कठिन रक्त संभ्रमण विकार की सभी दशानों में उससे श्री छतर होता है । इसे मुख द्वारा, त्वगधः कपूर श्रन्तःक्षेप वा शिराभ्यन्तरीय अन्तःक्षेप द्वारा प्रयुक्त कर सकते हैं । यह श्वासोच्छ् वास केन्द्रको उत्तेजित 1 करता है । रोग विशेष । ( Collapse of angina) हृत्पेशी शोथ ( Myocarditis) रक भ्रमण की अपूर्णता ( Circulatary_ insufficiency ) में यह अतीव गुणका है। मात्रा - १ घन शतांशमीटर त्वगधः श्रन्तक्षेप द्वारा या ०१ ग्राम टिकिया की शकल में मुख द्वारा । (१७) कार्डिटोन - Carditone सोडियम् कैम्फोसल्फोनेट(Sodium Campho Sulphonate ) १५ प्रतिशत जलीय विलयन रूप में । यह सार्वदेहिक हृदयोत्तेजक है । तथा श्वास प्रश्वास की गति ( Rate ) और ( Volume ) को बर्द्धित करता है । यह प्रत्याघात ( Shock ) हृदभेद ( Heart failure ), मूर्च्छा ( Coma ) और कोयले की गैस एवं मदकारी ( Narcotic ) औषधजन्य विषाक्तता में प्रयुक्त होता है । मात्रा — त्वगधोऽन्तः क्षेपार्थ १ से २ घन शतांश मीटर शिराभ्यन्तरीय अन्तःक्षेपार्थ २ घनशतांश मीटर पर्यंत । मुख द्वारा व्यवहारार्थ २५ से १०० बूँद ( १५ से ६ मिलिग्राम ) प्रत्यह जल मिलाकर । ( १८ ) कोरामाइन Coramine - पायरिडाइन कार्बोक्सिलिक एसिड डाईईथिल अमाइड (Pyridine Carboxylic acid diethyl amide ) एक प्रकार का प्रायः वर्णं रहित और स्वाद रहित पीताभ द्रव जो सभी परिमाण में जल-मिश्रेय होता है । 0 मात्रा - २५/ विलयन का १ से २ मिलिग्राम मुख द्वारा, त्वगधोन्डतः क्षेप द्वारा श्रथवा पेश्यभ्यन्तरीय वा शिराभ्यन्तरीय अन्तःक्षेप द्वारा सेव्य है । यह परम गुणकारी श्वासोच्छवास एवं हृदयोत्तेजक है । इसका उक्त प्रभाव सुषुम्नागत जीवनीय केन्द्रों के प्रभावित होने से प्रगट होता । मदकारी औषधियों ( Narcotics) को अत्यधिक मात्रा में सेवन करने के उपरांत जो
SR No.020062
Book TitleAayurvediya Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1942
Total Pages716
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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