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________________ कदम २००४ कदम लकड़ी हलकी एवं सुलभ होती है। कदम के | Roxb.)-ले० । मञ्जकदम्बे -ता० । परपु. काष्ट से नौका और नानाविध उपयोगी वस्तु कदंबे, डडगू, बेत्तगनप, बंदारु, पस्पुकडिमि-ते। बनाते हैं। -हिं० वि० को। हेदु-मरा० । हेद्दे, येत्तेग-पेत्तेग, अरसन-तेग, कविराज एन० एन० सेन गुप्त-यह किंचित् येत्तद, अहुनान-कना० । हरदुश्रा, हरदू -मध्य० तिक्त, चरपरा, कसैला, क्रान्तिहर, ( Refrige- प्रां० । करम-नेपा० । कुरुब, कोंबसंको-कोल० । rant), कामोद्दीपक (Aphrodisiac) कराम -संथाल । बड़ा करम -मल० । तिक्का । पित्तघ्न और बिष एवं आक्षेप में उपकारक है। -(वहराइच एवं गो०)। हरदू, पसपु, करमी, - यकी फली का रस मालाबार में उदरशूल में -गों । होलोंडा-उड़ि.। शांगदोंग, -(गारी) व्यवहृत हाता है । विस्फोटों पर इसकी पत्ती और रोघू, केलिकदम -प्रासाम, अरसनतेग -मैस०। हलवान - गु०। वंशलोचन-दोनों को पीसकर इसका पलस्तर कदम्ब वगे लगाते हैं और ऊपर से पत्तियों की घनी तह रख (N. 0. Rubiacece ) कर बांध देते हैं । इससे वे पाक को प्राप्त होते उत्पत्ति-स्थान-शुष्क वन ३००० फुट की हैं । (इं० मे० मे० पृ० ५८६) ऊँचाई पर । कुमाऊँ से सिक्किम तक और भारत(३) कैमा (धूलिकदम्ब वा केलिकदम्ब) बर्ष के समग्र पर्वती प्रदेशों से लंका पर्यन्त । एक प्रकार का कदम्ब जिसके पत्ते कचनार की रासायनिक संघट्टन-इसमें सिकोटैनिक तरह चोड़े सिरे के होते हैं । केलिकदम्ब का वृक्ष एसिड, एक रन श्रोषिद ( Oxidised ) धाराकदम्ब वृक्ष की अपेक्षा क्षुद्रतर एवं बहुशाखी पदार्थ एक तिक तत्व, श्वेतसार और कैलसियम् होता है । इसके फूल एवं पत्र भी धाराकदम्ब के ऑक्ज़ेलेट ये द्रव्य होते हैं। ( मेटीरिया मेडिका फूल और पत्र की अपेक्षा तुद्तर होते हैं। वसंत पार० एन० खोरी, खं० २, पृ० ३२५) ऋतु में इसके पत्ते झड़ जाते हैं। इसके फूल औषधार्थ ब्यवहार-त्वक् । . के ऊपर सफेद २ जीरे नहीं लगते । इसमें वसन्त प्रभाव-तिक्र, वल्य और ज्वरघ्न । काल में फूल आना प्रारम्भ होजाता है। सावन गुणधर्म तथा प्रयोग : तक वा वर्षान्त पर्यन्त श्राता रहता है। इसकी आयुर्वेदीय मतानुसार-धाराकदम्बवत् । न औषधि के लिए सर्वत्र भारतवर्ष धूलीकदम्बकस्तिक्तस्तुवर: कटुको हिमः । में सुविदित है और बहुमूल्य पीतकाष्ठ नाना वीर्य वृद्धिकरो वण्यों विष शोथ विनाशकः ।। प्रकार के कार्यों में व्यवहत होता है। इसकी छाल वातं पित्त कर्फ रक्त दोषं चैव विनाशयेत् । के मोटे वक्राकार टुकड़े होते हैं जो बाहर से हलके धूली कदम-कड़वा, कसेला, चरपरा, शीतल भूरे वा धूसरित श्वेत और भीतर से रनाभ-धूसर वीर्यवर्द्धक, वर्ण को सुन्दर करनेवाला तथा और तंतुल होते हैं । इसका स्वाद कड़वा और विष, सूजन, वात, पित्त, कफ और रुधिर के कसैला होता है। विकारों को दूर करनेवाला है। नव्यमत पर्याय-नीपः, धूलिकदम्बः, सुवासः, वृत्त डीमक-यह तिन औषधीय छाल और बहुपुष्पकः, (ध०नि०), धूलीकदम्बः क्रमुकप्रसूनः मूल्य पीली लकड़ी के लिए जो नाना भाँति की पराग पुष्पः, बलभद्रसंज्ञकः, वसन्तपुष्पः, मकरन्द दस्तकारी के काम आती है। भारतवर्ष में सर्वत्र वासः, भृङ्गप्रियः, रेणुकदम्बकः, (रा.नि.) प्रसिद्ध हैं। -सं० । कैमा, करमा, करम, हलदू, हरदू, कदमी, नादकी-कहते हैं कि इसकी छाल सिंकोना -हिं० । केलिकदम, बंगका, पेट-पुड़िया, दकोम, | की तरह कडुई होती है और मरक ज्वरों -बं० । अडिना कॉर्डिफोलिया ( Adina ( Eudemic fenrs ) तथा प्रांत्र-रोगों Codifolia, Hook F. ) atafaat की चिकित्सा में व्यवहृत होती है। कॉर्डिफोलिया ( Nauclea Cordifolia, | (इ० मे० मे० पृ० ५८६) नयमत
SR No.020062
Book TitleAayurvediya Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1942
Total Pages716
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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