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________________ [ च ] भारत प्रसिद्ध आयुर्वेद मार्तंड, नि० भा० वैद्य सम्मेलनों के सभापति श्री यादव जो त्रिकमजी आचार्य बम्बई लिखते हैं "आपका भेजा हुआ 'कोष' मिला, इस कोष के प्रसिद्ध करने का आपका प्रयत्न स्तुत्य है । शब्दों की व्याख्या इसमें देखने को मिल सकती है। केवल एक ही 'कोष' से अनेक कोषों के रखने की तकलीफ नहीं उठानी पड़ेगी। वैद्यों को इसका संग्रह अवश्य करना चाहिये ।” नि० भारतवर्षीय वैद्य सम्मेलन के भूतपूर्व सभापति लब्धप्रतिष्ठ बयोवृद्ध आयुर्वेदाचार्य श्री पं० गोवर्धन शर्मा छांगाणी आयुर्वेद रत्न, भिषक् केशरी नागपुर से ता० १२-६-३८ को लिखते हैंआयुर्वेदिक भौतिक साहित्य को प्रकाश कर वस्तुतः आपने आयुर्वेद संस्सार को ऋणी बना दिया है। परमात्मा आपको लोमशायु प्रदान करे ताकि फिर भी आप उत्तरोत्तर मौलिक सेवा आयुर्वेद की कर सकें। सम्पादक - नवराज स्थान अकोला । लेखक तथा संकलनकर्ता सर्व श्री रामजीत सिंह जीवैद्य और दलजीत सिंह जो वैद्य प्रकाशक पः विश्वेश्वरदयाल जो वैद्यराज बरालोकपुर इटावा भूल्य ६ ) सजिल्द अजिल्द ५ ) रु० | भारत अनादि काल से अद्भुत विशेषताओं के लिये जगत प्रसिद्ध रहा है । उसने संसार को जहां दर्शन और विज्ञान का आलौकिक संदेश देकर अपना मस्तक ऊंचा किया है वहां वह चिकित्सा विज्ञान में भी सर्वोपरि रहा है। किन्तु धीरे धीरे ये सारी विशेषतायें हमारी मानसिक गुलामी के कारण हम से दूर भाग रही है और हम प्रत्येक क्षेत्र में परावलम्बी बन रहे हैं भारत की आयुर्वेदीय औषधियां अपने गुणों आदि में अपनी सानी नहीं रखतीं वशर्ते कि उनका उपयोग सम्यक् रूप • में यथा विधि किया जाय । 1 प्रस्तुत कोष में रसायन, भौतिक विज्ञान, शल्य शास्त्र आदि आयुर्वेद विषयक हिन्दी संस्कृत और विभिन्न भाषाओं के शब्द उनकी व्युत्पत्ति एवं परिभाषा सहित अकारादि क्रम से परिश्रम पूर्वक संग्रहीत किये गये हैं । अनेक स्थलों पर खोज पूर्ण नोट दिये गये हैं जिन से प्राचीन और श्रवोचीनवैद्यों की अनेक शंकाओं का निवारण सहज ही हो जाता है अ से लेकर अज्ञात यक्ष्मातक लगभग १०२१० से भी अधिक शब्दों का यह उपयोगी कोष प्रत्येक बैद्य के लिये उपयोगी सिद्ध होगा इस में सन्देह नहीं । श्री गणपतिचन्द्र केला, सम्पादक 'धन्वन्तरि' विजयगढ़ (अलीगढ़) से लिखते हैं 66 “ आयुर्वेदीय - कोष" मिला, हार्दिक धन्यवाद ! ऐसा आवश्यक विशाल आयोजन आप उठा , रहे हैं, इसके लिये दोनों ही रचायतागण हमारे हार्दिक धन्यवाद को स्वीकार करें । विश्वेश्वर भगवान ने प्रकाशितकर वैद्य समाज का जो उपकार किया है, वह स्तुत्य है । ऐसे विशद विशाल विशेषोपयोगी ग्रंथ के संकलन में समस्त बैद्य-समाज और संस्थाओं को सहायता देकर उत्साह बढ़ाना चाहिये ।"
SR No.020062
Book TitleAayurvediya Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1942
Total Pages716
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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