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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वश्श ७८९ अश्य aushsha अ० दुबजा, पतला होना, बारीक अष्टक ashtaka-हिं० संज्ञा . [सं०] होना, निर्बल या क्षीण होना । अष्ट संख्या, पाठ की पूर्ति, पाठकी संख्या । प्राउ अश्शउल अज़ ashshainaul-abaiza वस्तुओं का संग्रह । जैसे हिंग्वष्टक । -अ० सफ़ेद माम, श्वेत मधूच्छिष्ट | White. अष्टकवर तैतम् ashtakatvara-tailam bes-wix (Cera alba.) -सं० की. यह तेल वातरक तथा उरुस्तम्भ में अश्शम्उल अस्कर ashshainaul-asfar हित है। योग निम्न है:-अ. मोम ज़र्द-फा० । पोला मोम, पीत मधू. : तैल ३२ पल (= २५६ तो०), दधि ३२ च्छिष्ट-हिं० Yollow bavs-wax पल (=२५६ तो०), तक्र २५६ पल (२०४८ (Cera flava. ) तो०), पिपली और सॉट प्रत्येक २-२ पल अश्शूग ashshāra-(Lamonit p.intap . अर्थात् १६-१६ तो० ( किसी किसी के मत से hyl!a, ROHD.) इं० हैं. गा० । दोनों मिल कर २ पल या प्रत्येक १ पन ) इसको अश्शै नमुल मुकान ashshailamitl-m11- 5 तेज-पाक विधि अनुसार पकाएँ। त्र० द. ऊ. qral-अ० शेलम । गन्मुम दीवाना-फ' । ! स्त० चि० । अस्नेह दधि अर्थात् स्नेह रहित देखो-अगंटा (Ergota.) दधि या दही का तोड़ और घृत रहित अर्थात् घी अरहब ashhab-अ० श्यामाभायुक्र, श्वेत रंग ! निकाला हुअा तक ग्रहण करना चाहिए । रस की वस्तु, कालापन लिए हुए सफेद रंग की चीज़, । धूसर, भूरा। अष्टकमल ashtakamila-हिं. संज्ञा पु प्रश्हल ashhala-अ० वह मनुष्य जिसका नेत्र [सं०] हट्योग के अनुसार मूलाधार से ललाट भेड़ का सा बड़ा और कुरूप हो, मेय चक्षु ।। तक के प्राइकमज जो भिन्न भिन्न स्थानों में माने मेश चश्म-फा०। गए हैं अर्थात् मूलाधार, विशुद्ध, मणिपूरक, अश्हायून ashhāyāsa-रू. कायफत,कट फल । स्वाधिष्टान, अनाहत (अनहद), प्राज्ञाचक्र, (fyrien sapila.) सहस्रार चक्र और सुरतिकमल । अहार as hāra-रू. तोदरी। See--To अष्टकर्म ashta-karmma सं० क्लो० पारद dari. के पाठ संस्कार । पारद के १८ बमों में से अषाढ ashadhi-हिं० संज्ञा प.. [सं० आषाद] स्वेदनादि से दीपन पर्यंत पाठ प्रकार के संस्कार । चौथा महीना । वह महीना जिसमें पूर्णिमा पूर्वाषाढ़ वे निम्न हैं:में पढ़े। प्रसाद । प्राषाढ़। 'The Hindi (१) स्वेदन, (२) मईन, (३) मूखंच, third solar month ( June-July, (४) उत्थापन, (५) पातन, (६) वोधन, during which the sun is in Gem. (७)नियामन और (८) दीपन । र० सा. ni, and the full moon is near - सं०1 इनको विधि अपने अपने पर्यायों के ashadha अपादा more properly सम्मुख देखें। called Poorv-ashadha पूर्वाषढ़ा or Uttarashadha उत्तराषादा coustell- अष्टका ashtaka-सं० स्त्री० वृक्ष भेद । (s). "ation Sagittirils.)। (२) व्रत , It of tree.) हे. च० । (Austerity)। (३) पलाश दण्ड । अष्टकुलas he kula-हि. संज्ञा प [सं०] अष्टंगी ashtangi-हिं० वि० दे० अष्टांगी। पुराणानुसार सौ के पाठ कुल; यथा-शेष, Fष्ट ashra-हिं० वि० [सं०] संख्या विशेष, वासुकि, कंबल, कर्कोटिक, पद्म, महापन, शंख . आठ । एट ( Eight.)-ई। | और कुलिक । किसी किसी के मत से-तक्षक, For Private and Personal Use Only
SR No.020060
Book TitleAayurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size27 MB
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