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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रकनार अक्रानीकी मुहांसे जो जवानी के प्रारम्भ में मुख नंडल पर बॉलिटिङ्ग ( vomiting ), नाशिश्रा निकलते हैं | मुक्नी (en)- । (Vaisen)-ई । नोट-जो युवासी पुरुर नध्य मार्ग का । अकमाल aqmali-अ० (व. व. ), कम्ल अवलम्बन न कर स्वास्थ्य सम्बन्धी नियमों का (ए) य.), जुनी (ढीलों) के अण्डे बच्चे उल्लघन करते हैं उनको सामान्यतः यह विकार अर्थात् लीग्न । निट (it) The ogy of हो जाया करता है। Joilso-इं। अक नार a[mā 1-अ० सुराही में मुह लगाकर श्रमायस aqmavastu- अ. एक देनिक ज्वर, जल पीना अथवा मद्यरान करना । एक दिन का ज्वर । हुम्नायूम-अ० । तप एक श्रक फअ agtaa-अ. जिपके पाँच की अंगलियां राजह-फा० । फेनिक्युला ( Pricula) फिरी हुई हो। श्रक्स akfas:-अ० जिसका पैर टेढ़ाना और अश्याधाल akyaghāsa-हि. अपभ्र० अगिया। वह अपने पैर की छोटी अंगुली पर महारा देकर (.mon grass )-३० । स० फॉ०ई० । चले। क्याघास का इत्र akya-ghas-ka-itya -हिं० । देवजग्धक-तेल-सं०1 अग्याधाम-तैलअफह ॥klth-अ. श्याम, कालः-हिं)। चं०। ( [..mongrnss oil )-इं० । स० ब्लैक ( Black)-50 ।। फॉ० इं। श्रक्वन्द ak balla-अ० यकृत रोगी, वह रंगी अकशajaa-अ० कल, गा, केराहीन, जिसके जिसका यकृत बढ़ा हुआ हो, बढ़े हुए यकृन : - शिर के बाल गिर गए हों, चेंदला । बारुद वाला । एनलार्ज ड लिवर (Enlarged (Bald )-इं० । liver)-ई । अकन् ran-अ० पैयस्तह् अबु-का। जिसकी अकवस akbast-अ० जिसके शिर का प्रागा निकला हुधा और ललाट |सा हा हो। दोनो भौएँ मिली हों। अक्रकanufa-अ० अत्यन्त रक्रवर्ण, गभीर अकवाद kbi I अ० (व. २०), कबिद । रक्रवर्ण-हिं०। डार्क-रेड ( lark-reil ) ( ए० ब० ), यकृत, जिगर, कलेजा। -ई० । (Liver ) i | अकत्रो aak bi-फा० अकबोस aqbisa-१०, रसूलिया, जिसका दरुनज अकबी ( Doronicu Pardaliavches, शिश्नान ( मणिमुण्ड ) खतना से पहिले त्वचा ___Lint.) । फॉ० ई०२ भा० । से बाहर निकलता हो। अकम ukrama-हिं० ब० [सं०] सं०० श्रक मअ aqimaa-अ० जिसके नेत्र से जल क्रम रहित, व्यतिक्रम, विपर्यय, स्राव हो। (Jrregularity, Confusod)-इं० । अकमस akmass-अ० जो कठिनता पूर्वक देख अक्रा aru-अ. (व.व.) क्रु (क) सके। र (ए०४०) रजःकाल, श्रार्तबकाल, मासिक प्रमह. akinah-अ० कोरमादरज़ाद-फा० । | धर्मका समय (Period of the menses) जन्मांव, सहजांध-हिं० । बार्न ब्लाइण्ड अक्रानीकी akranjki-यु० (१) शुकाई( Born Blind) इं बाज़ा० ( २ ) बादावद (shukai) श्रमाक akmakt का यमन, चर्दि, मतली । फॉ० इं०६ भा०। For Private and Personal Use Only
SR No.020060
Book TitleAayurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size27 MB
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