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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अगटा १५० श्रोटा लिक्विड एक्सट्रैक्ट अाफ़ अर्गट ३० मिनिम, (E) कॉन्यु टोन साइट्रेट Cornutin डायल्युटेड सल्फ्युरिक एसिड ३७ मिनिम, क्लोरो- citrate-यह अर्गट के एक ऐल कलाइड फॉर्म बाटर १ श्राउस पर्यन्त ! (बी० पी० (क्षारोद ) का घिलेय लवण है जो काबर्ट के सी.) मतानुसार अगट का क्रियाशील सत्त्र का प्रभा. (५) भिसचूरा अर्गटी अमोनिपटा- वात्मकांश है । यह एक धूसर वर्ण का चूर्ण है, Mistura ergote ammoniata- प्रसव हेतु जिसका अधिक उपयोग होता है। अमोनित अर्गट मिश्रण। मजीज शैलम अस्तु से ग्रेन की मात्रा में मुख द्वारा तथा अमोनी। लिक्विड एक्सट्रैक्ट अफ अर्गट २० मिनिम, . . से - ग्रेन की मात्रा में स्वस्थ सूचीवेध द्वारा अमोनिग्रम काबो नेट ३ ग्रेन, इमल्शन ऑफ़ इसका प्रयोग करते हैं। कोरोफॉर्म १५ मिनिम, कैम्फर बाटर १ पाउस (१०) अगोटीन Firgotin)-यह अर्गट पर्यन्त । ( युनिवर्सिटी हास्पिटल ). का कंवल एक विशुद्ध सत्व है | अगोटीन (E1(६) मिसचूग श्रोधी एट फेराई gotine ), बीजियन्स प्रोटीन (Bonje. Mistura ergotiret felri-लोहार्गट an's Ergotine)-इं०। मिश्रण । मज़ीज शैलम व अाहन । उपयोग लिक्विड एक्सट क्ट श्राफ अर्गट ३० मिनिम, : इसका प्रायः उन सभी दशाओं में प्रयोग सोल्युशन ऑफ़ फेरिक नोराइड १५ मिनिम, होता है, जिनमें कि अगट प्रयुक्र है । परन्तु निम्न साइटिक एसिड ५ग्रेन, क्लोरोफॉर्म वॉटर पाउंस लिखित कतिपय अन्य ऐसे विकार भी हैं जिनमें पर्यन्त । ( गाटज़ हास्पिटल लण्डन) इसका उपयोग होता है। (७) वाइनम अर्गेटो Vintuna erg (१) नपुनकत्व ( जीवता )--शिश्न Othr:- अर्गट सुरा । शराव शैजम । पृष्ठस्थ शिराओंके फल जाने के कारण जब उचित फ्लुइड एक्सट कट ऑफ अर्गट २० भाग, । प्रहर्षणाभावसे मैथुन शनि कम हो जाती है, तब डीटमेटेड शेरो ८० भाग । (बी० पी० सी०) अगोटीन के त्वकम्थ अन्तःक्षेपसे प्रायः पूर्ण लाम (८) एसिडम स्किरोटिकम् Acidum ' होता है। Scleroticum-ले० । स्रोिटिनिक एसिड (३) अर्गोटोन और कानान-यह दोनों Sclerotinic acid-इं । यह अर्गट द्वारा गर्भाशय एवं प्लीहा को संकुचित करते हैं; और प्राप्त एक महान प्रभावकारी सत्य है । परीक्षा- विशेष कर उस अवस्था में जब विषम ज्वरों में एक निर्बला अम्लीय सार जो धूसर स्फटिकीय प्रीहा कोमल हो या वह बढ़ गई हो, तब इनमैसे चूर्ण रूप में पाया जाता है। यह श्राद्र ताशापक प्रत्येक एक दूसरे का प्रतिनिधि हो सकता है। और जलविलेय होता है। . विषम ज्वरों में इन दोनों का मिश्रण अत्यन्त गुण-तथा उपयोग-१ ग्रेन शिरोटिनिक उपयोगी होता है और इस प्रकार उपयोग करने एसिड प्रमात्र में ३० ग्रंन अट के बराबर हाता सं कानान के अधिक परिमाण की बचत होती है। यह सूक्ष्म रक्तवाहिना संकोचक है । अस्त है। क्योंकि मिथित रूप में व्यवहार करने से यह रक्रास्थापक रूप से तथा रतसंचय जनित आधा ही कोनीन प्रयुक्त होता है। .' शिरोशूलहर रूप से लाभदायक है। (३) यनमा जन्य गत्रि स्वेद यह अचमा मात्रा- मं । मन, लवक स्थ अन्तःप गगियों के रात्रिस्वेद में हितकर है। मात्रा-२ द्वारा ( वा ५ से १५ मिनिम मुख तथा अन्तः । न तीन वा चार बार दैनिक । कमी की दशा में हेप द्वारा-ह्वि० मे से०)। जात्रा पटाकर देनी चाहिए। For Private and Personal Use Only
SR No.020060
Book TitleAayurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size27 MB
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