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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनाक अयमावेशिकिग्यह. श्रअ नाक nānā|-अ. (व.व.), उ (अ) अन्तःक्षोभ, मनोविकार, प्रान्मा में होने वाली नक (ए. व.) ग्रीवा, गर्दन-हिं । सर्विस दशाएँ-हिं०। ये छः हैं, यथा-(१) शोक, (Cervix), नेक्स (Nicks)-इं। (२) क्रोध, (३) भय, (४) श्रानन्द, अफ़जaafa.j-अ.Copulhotोंबीला,मेदयुक्र, (५) लज्जा और (६) चिन्ता ।। मेदावी,स्थूल,बह व्यक्ति जिसकी तांद निकलीही। अअशा aasha-अ० (Nyetalop:) शबश्रअ फर aitar-अ. सफ़ेद, मैला सुनेद, धूसर कोर-फा०। नकांध, वह मनुष्य लिमको I ( Brownish white ) रतौंधी का रोग हो। अअकाज Nafai-१० ( Intestinis, अमाय asab-अ० (Nerves) (व. ___Entrails.) श्रान्त्र-हिं० । व०), असब (ए. 4.), नाड़ियाँ, वान या श्रमश aanash-अ० जिसके नेत्र से जलस्राव बोधनन्तु( देखो-नाड़ी)-हिं। होता हो। अअ.माव उज्जियह āsa banjriyyah-अ० श्रामा aani-अ० (Blind ) नावीना, कोर (Vachal .. 4 )। स्कधि नाही, का। अंध, अंधा, नेग्रडीन-हि । अझ माअ नितंब (त्रिक) नाड़ी,अमाव सुरीन । ये बात (य०व०) और अमा (त्रिी० लिं.)। तम्नु सुषुम्नाक.एड से निकल कर नितम्बास्थि अअमाले विख्यद् nimals-bilya!-अ० से बाहर आते हैं। ये संख्या में ५ जो होते हैं । (Operation) हस्तकिया, शल्य-हि। इनको शान्बा उरु, रग, क पाँचको नांप पंशियों दस्तकारी-फा०। छेदन विद्या, व्यवछन्द शास। तथा पत्र में नेट व संज्ञा बहाती हैं। साहब काजिल के वचनानुसार इसके नीन भेद श्रअ सारे उजुकि यह aash b amuqiyyah हैं-(१) रग एवं (२) मांस की काट छ.ट, जैसे -अ. (C it is) अमात्रे रक्कमीक्षण, नश्वर देना, पृथक करना ( काटना गर्दन- । ग्रेव नाड़ियां-हि । छांटना ), दाराना और टाके लगाना इत्यादि । अअसावे कतानियह nāsabsetmiyyah और (३) अस्थि को यथा स्थान बिना, टी. -अ० अमावे कर-का० । कटि नाड़ियाँ अस्थि को जोड़ना, और स्थानस्युत अस्थि की - 1(Limbur ves ) संधि को बिना; इत्यादि। । अअसावे जह रिव्यह, aisab.-thriyyath अश्रमिद तुल मित्रगन amidatul-min. . -अ०, ( Dosal Y) अअसावे पुश्त khuriv-अ० ( Nasim Saptam) -फा० । पृट नाड़ियाँ-f60 नासामध्य पटल, दोनों नकुओं के मध्य का असाचे दिमानिय्यह. aasā bodimauh. परदा-हि० । _iyyah - अ० मास्ति'क नाड़ियाँ - हिं० । अअ याश्र. nāyān--अ० (१) कुटना, थकावट । Chumin Sees )। (२) हाथ पैर टूटना, शरीर का थक जाना। अअ.साबे नुखाइ यह āsibe mukhaaiyan अअयुन ayu-अ० प्रसरिन चक्षु, वह मनुष्य -अ० सौपुम्न नाड़ियाँ-हि०। (Spinalजिसके नेत्र की पुतलियाँ फैल गई हो। Nerves.), श्रअ रज uitajअ० ( Lami) लङ्गडा, लुङ्ग : असाये मुरकबह, lasib mrakkabalh --हिं० । -अ. मिश्र नाड़ियाँ-हिं० । मिक्स्ड नई न अ राज़ ārā7.-अ (व.व.) (Symp- ( Nistial Vives )-ई। ____toms) अ.ज़ ( व.), रोग के लक्षण । अअलाये शिर्किय्यह. Yaasāls: shirkiyyah श्रअगजे नफसानिय्यह ātaza mafsan- -अ० असावे हमदर्दी । पिंगल नाड़ियों-हि । .iyyah-१० इन्फिालाने नासानियह। (Sympathetic Yeaves.) For Private and Personal Use Only
SR No.020060
Book TitleAayurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size27 MB
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