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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अपवरका ३५५ अपस्तम्भ (म्ब) मर्म अपवरः apavarakah-सं० पु. गर्भगृह । अपसव्यः apasavyab-सं० त्रि.) (1) ( Inner room. ) हला | See-Ga अपसव्य apasavya-हिं० वि० । दक्षिण, ___rbhagriha. दाहिना (Right.)। (२) प्रतिकूल, उखटा, अपवर्ग: apa-vargah-सं० पु. ) विरुद्ध (Opposite)। सव्य का उलटा । अपवर्ग apavarga-हिं• संज्ञा पु. मे। (1) अभिस्याप्य में से अपकर्षण करने को । अपसार apasāra-हिं. संज्ञा पुं० [सं० अप= "अपवर्ग" कहते हैं, जैसे-विष-शास-विदों के जल+सार ] (1) अचुकण । पानी का छींदा । सम्मुख सिवा कीर विष वालों के विषोपसष्ट स्वेद (२) पानी की भाप । योग्म नहीं होते। इसमें से "विषोपसृष्ट प्रस्वेच अपवाहक apavahaka-हिं० वि० [सं०] अर्थात् स्वेदन क्रिया के अयोग्य होते है" यह स्थानांतरित करने वाला । एक स्थान से किसी वह व्यापक है जिसमें से कीट विष वाले पृथक् । पदार्थ को दूसरे स्थान पर ले जाने वाला। कर दिए गए। सु० उ० ६५ अ० श्लो०१६। अपवाहन apavahana-हिं० संज्ञा पुं० [सं०] (२) मोक्ष, मुक्रि--हिं० | Liberation स्थानांतरित करना । एक स्थानसे दूसरे स्थान पर ले जाना। Deliverance. -इं० । (३) त्याग । अपवाहित apavahita-हिं० वि० [स] अपवर्तन apavartan-हिं० संज्ञा पु. परि-! एक स्थान से दूसरे स्थान पर लाया हुआ। धर्तन, उलटफेर, पलटोव । स्थानांतरित । अपर्तित apavartita-हि० वि० [सं०] अपवाहक apavāhuka-हिं. सज्ञा पु. बदला हुआ । पलटाया हुश्रा | लौटाया हुआ। [सं०] देखो-अपवाहुकः। अपयश apavasha-हि. वि० [हिं० अप- | अपशकुन apashakuna-हिं० संज्ञा पुं. अपना+सं० वश ] अपने अधीन। अपने वश [सं०] कुसगुन । असगुन । का । स्वाधीन । (Voluntary) पररश का अपशब्द apashabda-हिं० सभा पु० [सं०] उलटा । पाद । अपान वायु का छूटना । गोज । पईन । अपविद्ध apaviddha-हिं० वि० [सं०11) अपसर्पण apasarpana-हिं० संज्ञा पुं. त्यागा हुआ । स्या, छोड़ा हुा । (२) बेधा | [सं०] [ वि• अपसर्पित ] पीछे सरकना । हुप्रा, बिछ । (३) चूर्णित । पीछे हटना। अपविषा apavisha-सं० स्त्री० निर्विषतृण, । अपसर्पित apasarpita-हिं० वि० [सं०] fafári ( Curcuma zedoariæ. ) पीछे हटा हुश्रा । पीछे सरका हुअा।। रा०नि० । अपसारण apasārana-हिं० पु. (भौ० वि०)( Repulsion.) अपकर्षण । अपशोक: apa-shokah-सं०पू० अशोक वृक्ष। अपस्कम्भः apaskambhah-सं० पु. ( Saraca. Indica. ) रा० नि० (Sympiocos racemosa ) लोध । २०१०। अथर्व०।४।६।४।। अपष्ट apashta-हिं० वि० अस्पष्ट, गुह्य । (Not अपस्करः apaskarah-सं० पू०(१)मलclear, hidden ). द्वार, चूति। एनस ( Anus )-ई. । (२) अपसरण apasarana-हिं० पु. प्रस्थान, विष्ठा, पुरीष । ( Feces) धर०। चला जाना। | अपस्तम्भ (म्ब) मर्म apas tambha,-mbai अपसर्जन apasarjana-हिं संज्ञा पुं॰ [सं०] malmma-सं० क्ली० उदर और वहस्थ मर्मों विसर्जन | स्याग । में से एक शिरा मर्म विशेष । यह उर (हृदय) ४६ For Private and Personal Use Only
SR No.020060
Book TitleAayurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size27 MB
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