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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -हि० वि० [सं०] अपरिमाण अपवन अपरिमाण apariināna अपरेशन apareshana-हिं० संज्ञा पु. अपरिमित aparimita [अं ऑपरेशन ] (Operation ) शस्त्र परिमाणहीन, असंख्यात, अनंत । ( Uulini- | चिकित्सा । चीरफाड़। ted ). अपरोक्ष uparoksha-हि० पु. प्रत्यक्ष, समय । अपरिमेय aparimeya-हिं० वि० [सं०] ( Present.) जिसका परिमाण न पाया जाए। जिसकी नाप । अपर्णा uparni-f६० संज्ञा स्त्री० [सं० ] न हो सके। अपरना, पत्रशून्य । ( Leafless). अपरिम्लानः aparimlanah-सं० पु. अपर्याप्त aparyāpta-हिं० वि० [सं०] (The red var. of Barleria prio अयथेष्ट, अपूर्ण, स्वल्प, थोड़ा, कानी नहीं। nites) रक अम्लान पुष्प वृत्त । लाल ( A little, oot enough.) | कटुसरैया -हिंवि० जो न कुम्हलाया हो, ताज़ा | • खिला हुआ । ( Newly opened ). | अपवंदण्डः aparvva-dandah-सं-पु. अपरिवर्तनीय aparivarttaniya-हिं०वि० | ___ रामशर, सरपत । ( Saceliarum sara) रा०नि००। [सं०] (१) जो परिवर्तन के योग्य न हो । जो बदल न सके। अपर्स uparsa-हिं. संज्ञा पु. कुष्ठ, कोछ । (२) जो बदले में न दिया जा सके। (leprosy )। दे० अपरस । अपरिवृत्त aparivritta-हिं० वि० [सं०]! अपर्स apurs-बिलूच०, शर्बत-हिमाल । धूपी । जो ढका था घिरा न हो । अपरिच्छन्न । धूपड़ी, चन्दन-नैपा०1 (Juniperus exअपरिष्कार aparishkāra-हिं. संज्ञा पु० celsa) मे० मो० । [सं०] [वि. अपरिष्कृत ] (1) संस्कार का | अपलक्षण apalakshana-हिं. संज्ञा पु' अभाव असंशोधन । सनाई वा काट छाँट का न | (1) अपशकुन । (२) (A Bad Sign) होना । (२) मैलारन (३) भद्दापन। कुलक्षण । युरा चिन्ह । दोष । (३) दुष्टलपण। अपरिष्कृत aparishkrita-हिं० वि० [सं०] | अपलक्षणा apalakshana-हिं० वि. स्त्री० (१) जिसका परिष्कार न हुआ हो । जो साफ न | [सं०] बुरे लक्षण वाली । दुष्ट लपण | किया गया हो । (२) मैला कुचैला । (३) (of a bad sign, ominous. ] बेडौल, भद्दा । अपलापः apa āpah-सं० पु. ) [वि० अपरिसर aparisara-हिं० वि० संकीर्ण, संकु- अपलाप apalapa-हि. संज्ञा .) अपलाचित । ( Crowded). पित] यह पेट और छाती ( अर्थात् धड़) के मर्मों अपरीक्षित aparikshita-हिं० वि० [सं०] में से एक शिरा मर्म है जो ( अंसकूट कंधों) [स्त्री० अपरीनिता ] जिसकी परीक्षा न हुई हो। से नीचे तथा पाचौँ (सबाड़ों) के ऊपर एक जो परस्त्रा न गया हो । जिसकी जाँच न हुई हो। एक दोनों ओर स्थित है। सु० शा० ६ ०। जिसके रूप, गुण, परिमाण और वर्ण आदि का 'अपलाषिका apalashika-सं० स्त्री. पिपासा, अनुसंधान न किया हो। प्यास ('Thirst)। हे० च०। अपरूप aparāpa-हिं०वि० [सं०] ( Defo- | rmed ) कुरूप बदशकल । भहा । बेडौल । अपवनम् apavanam-सं० क्ली० ) कृत्रिम (२) [ अपूर्व का अपभ्रंश ] अद्भुत । अपूर्व । | अपवन apavana-हिं० संज्ञा पुण बन, अपरेयुः aparedyuh--सं० [अव्यय | (An artificia) garden.) उपवन, पर दिन । बाग | हे० च०। For Private and Personal Use Only
SR No.020060
Book TitleAayurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size27 MB
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