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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनुनन्त्री अनुन्मदिनम् अन मन्त्री anatantri-स०स्त्री पिंगला नाड़ी। | अनद्भत ताप anudbhuta tapu-ह.पु. (Syınpathetic nerve) लेटेण्ट हीट श्रीफ़ वेपराइ जोशन ( Latentअनुतन्त्रो पद्धतिः anutantri-paddhatih heat of vaponrisatiou ) a ang -सं०स्त्री० पिंगल नाड़ी मंडल । (Sympa- जो किसी तरल ट्रष्य को वाष्पीय thetic system ) रूप में परिणत करने में व्यय हो; अनुतप्त anita.pta-हिं० वि० [सं०] (1) किन्तु, जिसका कोई प्रत्यक्ष फल विदित न हो, तपा हुश्रा । गर्म । उस व्यको बाम्पीय "अनुगत ताप" कहते हैं। अनुनर्षः ammtarshah-i० पु. (१) उदाहरण-यदि आप एक बर्तन में जल लेकर उसे तृष्णा ( Thinst)। (२) मद्य पोनेका पाय, गर्म करना प्रारम्भ करें तो जैसा श्राप जानते सुरापान पात्र । भैष । मे० ष चतुकं । हैं, उसका तापक्रम बढ़ने लगेगा और बढ़ते अनुताप auntāpa-हिं० संज्ञा पुं॰ [सं०] बढ़ते वह १००° सें० तक पहुँचेगा। उस समय [वि० अनुतप्त ] तपन । दाह । जलन । जल उचलने लगेगा। परन्तु उस समय एक बड़ी अनतापिकाण्ड anutāpikanda--सं० पु. विलक्षण बात देखने में पाती है । जल के तापक्रम पिंगल कांड : (Sympathetic trunk) का बढ़ना बन्द हो जाता है, आप चाहे पाँच अनुनापिनीपद्धतिः auutāpini-paddhatih दुगुनी या तिगुनी कर दे' परन्तु तापक्रम वही -सं० स्त्री० पिंगल मंडल ! (sympathe १००° पर ठहरा रहेगा और जब तक सारा अक्षा tio system ). भाप में परिणत न हो जाएगा वहीं हरा रहेगा परन्तु आप जो ताप देते जा रहे है वह कहाँ अनुत् केशः int.kleshah-सं० पु. उस्ले चला गया ? इसका यही उत्तर हो सकता है कि शाभाव, वमनावरोध । च० सं० विसूची। बह किसी अप्रगट रीति से मल को तरन से अनुस्थित विद्धा "शिरा" utthita-vi भाप बनाने में व्यय हो रहा है। इसे 'अनुन्नत ddhi "shiri"-सं० स्त्रो० टोक पट्टी न . बाँधने के कारण जिसकी शिरा न उठी हुई हो वह । ताप' कहते हैं । भौ० वि० वेधित की हुई । इससे रुधिर नहीं निकलता । | अनुद्वाह auudvaha-हिं०पु० अविवाह,कुमारपंन । सु० शा०८ श्र.। (Virginity)। अनुत्रिकास्थि anutrikāsthi-हिं० स्त्री० | अनधावन audhavana-हिं० संझा पु० पुच्छास्थि, गुदास्थि, चन्चु अस्थि । इस उस, [सं०] [वि० अनुधावक, अनुधावित, अनुअल्स उस अज मुल उस उ.स.१० दुम्गजह, । धावी ] (१) पीछे चलना, अनुसरण, (२) उस्तखाने दुम-फा० । दुम्ची की हड्डी-उ० । अनुसन्धान | खोज । विकास्थि के नीचे रहने वाली एक छोटी अननाद anunada-हिं० सज्ञा प० [सं०] सी अस्थि है जो बस्तुनः चार छोटी छोटी अस्थियों . । [ वि० अनुनादित ] प्रतिध्वनि, गूंज, गुजार । के जुड़ने से बनी है । इस अस्थि में न कोई छिद्र । ! अननादित anumādita हि वि० [सं०] होता है न कोई नली। इसका स्वरूप कोकिल च धत् होता है। इसलिए अँगरेजी में इसको , प्रति ध्वनित । जिसका अनुनाद या गूंज हुई कॉक्सिक्स (Coccyx ) कहते हैं। अनुदर anudara-हिं० वि० [ सं खी अनुन्मदिनः amunmaditah-सं० पु.) अनुदरा ] कृशोदर । दुबला पतला। अनुन्मदितम् aunmaditam-सं0 क्ली. अनुद्धत anuddluata -हिं० वि० [सं०] उन्माद रहित । अथर्व सू०११।२। काल जो उद्धत न हो । अनुग्र | सौम्य । शांत । ६ । अथवं सू०११।१ । का०६। For Private and Personal Use Only
SR No.020060
Book TitleAayurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size27 MB
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