SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 367
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनुकूलिनी ३१५ अनुतकम् अनुकूलिनी anukālini-सं० स्त्री. पुद्रदन्ती। | अनुच्छ वास: anuchchhvasah-सं० पु. Croton 'Tiglium, Linn (A small श्वासरोध, साँस बन्द होना, दम बन्द होना, val. of-). दम घुटना । इहितनाक-२०। (Asphyxia) अनुकंपा anukarnpi-हिं० संज्ञा स्त्री० [सं०] अनुज anuja-हि. वि० [सं०] जो पीछे [वि० अनुकंपित ] सहानुभूति । उत्पन्न हुअा हो | --संज्ञा पुं॰ [स्त्री० अनुक्त anukta-सं०, हिं०वि० जिसका वर्णन न अनुजा ] (1) छोटा भाई । (२) एक पौधा किया गया हो । जो न कहा गया हो । ( Not स्थलपन । Spoken, not told ). अनुजम् anujam-सं० स्त्री० (Root stock अनुकद्रय anukt-adrava-हिं० वि० निद्रव, of Nymphica lotus:) FIRECT * जहाँस्वरसादि पतले पदार्थोका वर्णन नाया हो । (कमल नाल ) नामक गंध द्रव्य विशेष । अनक्त परिमाण amukta-parimāna--सं० पुण्डरिया-40 | रा०नि० व० १२ ॥ त्रि, हिं० वि० जहाँ द्रव्यों का परिमाण (मान) श्रनुजस् anujns सं० पु. पुण्डरिया, कमलन दिया गया हो। नाल । (The root stillk of Nymअनुक्रम unukraina-सं० ५० विधान, कायदा । phra lotus.) (methol, order). अनुजा anuja-सं० स्त्री० बायमाए लता । गोश्रोअनुखाल anukhāla-हिं. पु. खाई, खाड़ी, यालियालता-बं० रा०नि०३०५। बलानाला। (A creek). मुर-वं० । भा० पू० १ भा० गु०व०! अनगः anugah-सं० पु. । परिचारक, से- Thaliclrum Fliosan | देखी-- अनुग anuga-हिं० संज्ञा प वक ( An त्रायमारणा। . attendant.) रत्ना०1-हिं०वि० (fol!. अनुजात aunjita-सं०प. वह सन्तान जो पिता owing.)पश्चाद्गामी, पीछे चलने वाला, अनु के गुण रखती हो । अथर्व) । सू०६ । का० । गामी, अनुयायी, पैरोकार । अनुगत anugata-सं०५०,-foवि.संझा | अनुजिघ्रम् alimjighram-सं. गंध लेकर। अथ । अनुगति ] (१) पीछे पीछे चलने वाला, प्राति, अनुगामी, अनुयायी (Dependant on)। | अनुजंघास्थि anujanghāsthi-हिं० संशा स्त्री टाँग या जंवा की दोनों लम्बी अस्थियों में (२) अनुकूल । मुशाफ़िक । -हिं• संज्ञा पुं० से वह जो अंगुष्ट (शरीर की मध्यरेखा के निकट) सेवक, अनुचर । की ओर रहती है। फिव्युला Fibula t०। अनुगमन anugamana-हिं० संज्ञा पु. [सं०] पीछे चलना। अनुसरण । (२)| अनुज्ज्वल मण्डल amjjvala-mandala (Non-Luminous Zone) ज्वाला के समान पाचरण । ( ३ ) सहवास । संभोग । मण्डलों में से वह जो उसके उज्यल मण्डल के अनुगामी anugami-हिं० वि० [सं०]] सर्वतः बाहर स्थित है। इसमें प्रोषजन के श्रा[स्त्रो० अनुगामिनी ]() पीछे चलने | वाला, पंश्चाद्वर्ती ( Followrig)। (२) धिक्य के कारण कजल कणों का ज्वलन सम्यक समान अाचरण करने वाला। (३) सहवास | रीतिसे होता रहता है। एतदर्थ इसमें उज्ज्वलता चा सम्भोग करने वाला। की न्यूनता होती है, परन्तु ताप सब से अधिक अनुधात anughāta-हिं० संज्ञा पु० [सं०] होता है । देखो--ज्वाला। नाश । संहार । अनुतकम् anutakram-संक्ली तक्रानुपान । अनुचिबुक anuchibuka-हिं० संज्ञा पु. “जग्ध्वा तक्रं पिवेदनु ।" सि० यो० पाण्डुमेड़ी या टी के नीचे का भाग। चि. वृन्दः । For Private and Personal Use Only
SR No.020060
Book TitleAayurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size27 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy