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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir छ। रहा !! छप रहा है! !!. क्या? क्या ? क्या? जैनमुनि उपाध्याय श्रीआत्मारामजो महाराज द्वारा अनुवाद किया हुआ "श्रीदशवकालिकसूत्रम्" (मूलपाठ, संस्कृतछाया, शब्दार्थ, भावार्थ, सरल-हिन्दी-विशेषार्थ, पाइटिप्पणि आदि आदि सहित) हैदराबादनिवासी राजाबहादुर श्रीमान् लाला सुखदेवसहाय जी के सुपुत्र श्रीमान् लाला ज्वालाप्रसादजी को सहायता से / ग्रन्थ बहुत बड़ा होगा, बड़े बड़े करीब हजार-पाउसौ पृष्ठ होंगे। जिस समय यह सूत्र अपनी विशेषता प्रों से सुसज्जित होकर जनता के हाथों में अलंकृत। होगा, उस समय इस की सभी महत्वपर्ण और निराली बातों से जनता को चकित हो जाना पड़ेगा। पत्र व्यवहार का पता पद्मसिंह जैन, अध्यक्ष-"श्रामज्जैनशास्त्रोद्धार प्रिंटिंग प्रेस” जौहरी बाजार-आगरा। Se9865-669 जैन सागरा में हर प्रकार की छपाई रंगीन तथा सादी, हिन्दी, उर्द, अंग्रेजी में शुद्धता पूर्वक होतो ना है, और काम समय पर छाप कर दिया जाता है, एक बार अवश्य परीक्षा कीजिये। क्या आपनेहिन्दी “जैन-पथ प्रदर्शक.” साप्ताहिक पत्रे को जो आगरे से प्रः बुधवार को प्रकाशित Sering Jin.Shasan नहीं देखा हो तो आज ही M4) रु० का मनिआर्डर लिखाइये पत्रके ग्राहकों 3 को हर वर्ष कई ग्रन्थ में 094851 gyanmandir@kobatirth.org वह वहार का पर पद्मसिंह जैन, प्रोपाईटर - जैन-पथ-प्रदर्शक व जैन प्रेस, जौहरी बाजार-आगरा।। वाब ज For Private and Personal Use Only
SR No.020052
Book TitleAnuyogdwar Sutram Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherMurarilalji Charndasji Jain
Publication Year
Total Pages329
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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