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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 38 489 एकत्रिंशत्तम-अनुयोगद्वार सूत्र-चतुर्थ मूल 490 पुवाणुपुत्री-समए, आवलिया, आणपाणू थोवे, लवे, मुहुत्ते, अहोरते, परखे, मास, उऊ, अपणे, संयच्छरे, जुगे, वाससए, वाससहम्से, वाससयसहस्से, पुव्वंगे, पुटवे, तुडि अंगे, तुडिए, अडडंगे, अडडे, अावगे, अबवे, हहुअंगे. हुहुए, उप्पलंगे उप्पले, पउमंगे, पउमे, पलिणंगे, णलिणे, आस्थानेऊरंगे, आत्थिनिउरे, अउअंगे, अउए, नउअंगे, नउए, पउअंगे, पउए, चूलिअंगे, चूलिया. सीसपेहेलिअंगे सीसपहेलिया; का संवत्सर, 13 पांच संवत्सर का यग, 14 वीस या का शतवर्ष. 15 दश सो वर्ष का हजार वर्ष, 16 शत हजार वर्ष का लाख वर्ष, 17 चौरासी लक्ष वर्ष का पूर्वाग, 18 चीराप्ती लाख पूर्वांग का पूर्व, 19 चौरासी लाख पूर्णका सुहितांग, ऐसे ही 20 वटित. 21 अडडांग, 22 अडड, 23 अवांग, 25 अक्र. 25 हुहुतांग, 26 हृदत. 27 उत्पगंग. 28 उत्पल, 29 पद्मांग, 30 पम३१ नालनांग, 32 नलिन, 13 अस्ति निपुराग, 34 अस्तिनपुर. 35 अयुतांग, 38 अयुत. 27 नयुतांग, 38 नयत. 31 ५उमांग, 40 पउप. 41 चलिआंग, 42 नुलिस, 43 शीर्ष महेलितांग व 44 शीर्ष प्रहेलित. यहां तक. 195 अंक की गणना हुई. 78263253073010241.15797 353997 569140 62189668480801835960000000000000000000000 000000000000000000000000000000000000000000000000000000000 000000000000000000000000000000000000000000000000000000000Y कालानपूर्वी का कथन For Private and Personal Use Only
SR No.020050
Book TitleAnuyogdwar Sutram
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages373
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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