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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 11 अनुवादक बाल ब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी? - गोयमा ! अहनेणंवि उकोसेणंवि अंतोमुटुत्तं, पज्जत गम्भवक्रांतिय मणुस्साणं ? गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिण्णिपलिओवलाई अंतोमुहुत्तूणाइ // 39 // बाणमंतराणं भंते ! देवाणं के नियं कालंटिती पण्णता ? गोयमा ! जहन्नं दसवास सहस्साई उकोसं पलिओचमाई वाणामतरणि भंते देवीण केयलिय ठितीकालं?गीयमा! जहन्नेणं दसवास सहस्सा. कोनं अद्ध पलिओचमाइ // 10 // जोतिसियाणं भंते! देवाणं केवइयंकालं ठिती गोयना!जहलेण अटभागप लिओवम उक्कोस पलिओवमं वास मतसहस्स मभहियं,चंदविमाणाणं भंते! देवाणं? गोयमा। जहनेणं च उभाग पलिओवर्म उकोसेणं पलि ओवमं वाससयसहस्सं ममहियं, चंदबिमाणाणं भंते ! देवीणं ? जयन्य उत्कृष्ट अंतर्मुहूर्त की. गर्भज मनुष्य की जयन्य अंनयुहूर्त की उत्कृष्ट तीन पल्योपम अंतर्मुहूर्त कम की॥३९॥ वाणव्यन्दर देवता की जघन्य दश हजार वर्ष की उत्कृष्ट एक एल्योपा की. वागव्यन्तर देवी सी जघन्य दश हमार वर्ष की उत्कृष्ट आधी पल्पोपा की. || 50 !! ज्योतिती देवता की अघन्य कुछ अधिक पल्यापम के आठवे भाग का उत्कृष्ट एक पत्योपप एक बार वर्षको योतिषी की देवी की, जघन्य पल्यापम के आठवे भाग की उकृष्ट प्राधा पस्योपम रवान हर वर्ष की. चन्द्र विमानवासी देवता की जयन्य पल्यापम के चौथे भाग की उत्कृष्ट एक पल्योपम एक लाख वर्ष की, चन्द्र विमानवासी * *काशक-राजाबहादुर लाळा सुखदेवसहायनी दालागसादजी* अर्थ For Private and Personal Use Only
SR No.020050
Book TitleAnuyogdwar Sutram
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages373
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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