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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सव 240 अनुवादक बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी.. जहण्णगं अंतीमुहुत्तं उक्कोसं सत्तबाससहस्साई अंतो मुत्तूणाई, तेउकाइयाणं अहणं अंतोमनं उझोसेणं तिष्णिराइंदियाई सुहुन ते उकाइयाणं आहियाणं अपजत्ताणं पज्जत्ताणं तिण्णिवि जहणेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुतं, बादर तेउकाइयाणं जहणं अतोमुहुत्तं, उकोसेणं तिपिणराइंदियाई,अमजतगवादरतेउकाइयाणं जहन्नणंवि अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं यिभंतोमहत्वं,पजत्तगचादर ते उकाझ्याणं जहण्णं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिण्णिराइंदियाणं अंतोमुहत्तणाई, बाउकाइयाणं जहणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिणिवास सहस्साई सुहुमवागुकाइयाणं उहियाणं अपजत्तगाणं पजतगाणय तिण्हवि जहणणीव अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं बादरवाउकाइयागं जहण्यं अंतोमुहुत्तं उक्कोसं अर्तमुहून की बादर अप्काम के पर्याप्त की जघन्य अंतर्मुहूर्त की उत्कृष्ट मात हजार वर्ष अनाहूर्द कम की. समुचय तेजस्काय की जघन्य अंतर्मुहूर्त की उत्कृष्ट तीन अहोरात्रि,कीसूक्ष्म तेजस्काय मूक्ष्म के अपर्याप्त और पर्याप्त तीनों की जघन्य उत्कृष्ट अंतर्मुहूर्त की बादर तेजस्कार की जयन्य है उत्कृष्ट तीन अहो रात्रि की, बादर तेजस्काय के अपर्याप्त की जघन्य उत्कृष्ट अंतर्मुहर्त की बादर है तेजस्काय के पर्याप्त का जघन्य अन्तर मुहूर्त की उत्कृष्ट तीन अहोरात्रि की अन मुहूर्त काम समुचय * वायुकाय की जघन्य अन्तर महत की उत्कृष्ट तीन हजार वर्ष की सूक्ष्मवायुकाया सूक्ष्मवायुकाय के प्रकाशक राजाबहादुर लाला मुखदेवस हायजी ज्वालाप्रसादजी * 891 For Private and Personal Use Only
SR No.020050
Book TitleAnuyogdwar Sutram
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages373
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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