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४८६. अमृतसागर तथाप्रतापसागरतरंग २१ दोषकरेतीकोल.प्रथमबालककेवर शरीरकोपेश्रोबोलेनहीं गूठिषोलनहीं सुकारियोकरै आकाशमाहादेषवोकरैबालककासुषकैवास्तैवेंकोउत्तारोलिनरीकादोन्यूनरांकीमाटीगा
लेतीकोपूतलोकरे पूतलानेसरावागेमेले कैमधिनांबूल रक्तपुष्प रक्तचंदन रक्तसात धजा सानदीवा मांस सुराभा तमलि दक्षिणदिशामें तीसरेपहरचौहटेबलिदे पाशिचनिर्माल्य गूगल सिरस्यूंनीबकापानमांदाकोसीच यांकीधूपादि नतीननाईदे अथउनाराकोमंत्रलि उनमोरावगायनमः हनरमुंच रासयत्रासयस्वाहा चौथैदिनब्राम्हणाभोजनकरै तौबालककैारामहोय ३२ अथचौथेदिनचौथैमासचोथैव रसमुषमंडिकानामरावशकीबहानीकादेशकालक्षण प्रथमजुरहोय कांधीनवैनहीं नेत्रफाट्योरहै बाबोलेनहीं रोवोक रैसोयगो हाथकीमूठाबंधीरहै येकासुषकैवास्तैग्नारोलिष्यते नदीकादोन्यानांकीयांटीलेनीकोपूनलोकरेकेागेकमलका फूलमेल गंधवांबूल सुपेदफूल च्यारिदिवा तेरापूना मांछलाकोमांससुरा छाछि येसारासरावांममेलजै पाउत्तरदिशामैं तीसरेपहर चौहटेबसिदेतो बालककैसुषहोय अथउतारा कोमंत्रलिनमोरावपापहनर मथर स्वाह चौथैदिनत्राम्ह एभोजनकरैनी बालकाध्योहोय २३ अथपांचमैदिनपांच मैंमहीनपांचवरषपूतनाममातृकारावराकीवहरा तीकोदोषकालमलि प्रथमजुरहोय शरीरकांपे ओबोलेनहीं हायकीमूभषोलेनहींअथवेंकामाच्याहोवाकोउनारोलि. हुम्हारकाचाकामांगलेंतीकोपूनलोकरै नांदेआगेगंधनांबू
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