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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २१ ૪૫ आदिलेररावण की बारा १२ बहाछै सो बालकनैं दोष करैतीका येलक्षएराछे बालककैजुरहोय रोवेघों श्रोबोलेनहीं ती कामाला होवा मैके वास्ते बलिक हेजैछै नदीकादोन्यूंनलकी मांटीलेवेंकोपूनलोकरे कोरासैनकर्मै श्वर वेंकैकनैं चावल सुपेदफूलसात ७ ध्वजा सात ७ दिवा सात ७ गुलगुला सात ७ पान गंध धूप मांस दा स.येसाराबालकऊपरिवारि पूर्वदिशा कानी चोहटै मध्यान्हकैसमैं बलिदै वरपीपलकोपानमांथा मैंनांषि बालकनैस्नान करावेतौनंदानाममातृकाकोदोषइरिहोय? इनरेंदिनच्यारिकरै पर बाल ककै सरस्यूं मदाकोसींग नींब कापांन सिवनिर्माल्य यांकीधूली देतो बालकप्राब्योहोय अथउत्ताराकोमंत्रलि• उंनमोभगव तेरावरणाय हन् हन्मुंच मुंच स्वाहा ३० अथबालककाजन्म दूसरा दन दूसरे महीनेंइसरे वर सशुभदानाममातृका रावण की बह बालनै दोष करेछैनी कालक्षएालि० प्रथम ज्वर होय नेत्रमिचैनहीं शरीर कांपीबोकरे नींदयावेनहीं पुकारी वोकरै बोलेनहीं वेंकाआछ्या होगा के वास्तेवलिनामउतारोलिधूं डूं जीकरि बालक सुषहोय सवासेरचावल दहीं मां छलाकोमांस दारू तिलकोचूर्ण येसारासारावामें मेलि पश्चिमदशानेचौ हदै तीन दिन संध्यासमैंबालकऊपरउतारोकरैनी पाछैसालि काजलसूं बालकनैं स्नानकरावै पालैशिवनिर्माल्य बस विलाईका रोम घृत डूब ईकीबालककै धूणी अथउतारा कोमंत्रलि● ऊंरावणायहन २ सुँच २ हुंफट् स्वाहा चोथेदिनब्राम्ह भोजनज थाशक्तिकरावेतौ शुभदाकोदोषजाय ३१ अथ तीसरेदिनती सरैमास तीसरैवरसपूतनानामरावाकीव हुए। बालककै For Private and Personal Use Only
SR No.020035
Book TitleAmrutsagar Vaidyak Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSawai Pratapsinh Maharaj
PublisherGyansagar Press
Publication Year1860
Total Pages590
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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