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४७० अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २० मांसरस ओरपुष्ट औषरिषाय अरडूधपाचैतदिवायडूरिहोय गर्भ परिपूर्ण होय ५६ अथगर्भकाबालककाहोयबाकामहीनालि प्यतेस्त्रासोनवमैमहीने अथवादशमहीनेसंताननँउपजावै छै अरकोयेकरबाहेसोग्यारवें अथवा बारावेंमहानेसंतानने उप जादे, वरयांमहीनोउपरांतजोगर्भरहे ओगर्भविकारकोजाशि जै नदिईगर्भकाउंदरकारोगांमैगिलिअरकोजतनकीजै ५७ अथस्त्रीकेसुषसंप्रसवहोवाकोजतनालिसांपकीकांच लीमरवो यादोन्यांकीभगमैंधूणीदेतो स्वीसुष संताननैंजरों अथचा कलहारीकीजडनै स्वाहाथपगांकैबांधेतौस्त्रीकेतत्काल प्रसूतिहोय ५९ अथवाकरभांगराकाजड अरपाडलकीजड. स्त्रीहाथपगाकै बांधेनौस्त्रीकैनकालप्रसूतिहोय अथवा यो ईकाजरकाकादामैंतिलांकोनेलनांषिस्वीहेसोगर्भकैलेपकरेंतो स्त्रीकेसुषसंतत्कालप्रसवहोय अथवा पीपलि वर यानेजल सूंचांटि भगकेलेपकरैनो स्त्रीकेसुषसूतत्कालप्रसूतिहोय ६२ अथवा अरंडकातेलनेस्त्रीनाभिकैलेपकरेनौतत्कालप्रसूतिहोय ६३ अथवा विजोराकाजड गहुवो यांदोन्याने स्त्रीपावनोस्त्राकैत कालप्रसूतहोय ८४ अथवा सांगकाजडनेंस्वीकटिकैबांधेतौरवाके तत्कालप्रसूतिहोय५ येजतनभावप्रकाशमैंछै अथवा धों धाहेलीकाजउने काकलहारकाजड़ने कटिकेबांधेतीतत्कालप्रसून होयम योगचिंतामणिमे प्रथमुषसंतत्कालप्रसवकरा वाकोमंत्रलि मु क्तमाःयासाविमुक्ताश्चमुक्तासू येणारश्मयः म २ -तसर्वभयानर्भरत्यहिमाचिर माचिरवाहा ई १२ मंत्र जनचारसातपत्र पा
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