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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३४ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग ने ब्राह्मीवच लजालू, त्रिफला कुटकी घरैंडी किरमालाकीगिरी नीं बकीछाली नागरमोथो कडवीतोरुंकीजड मिनक्कादाष सालपर्णी दोन्यूंकटाली गोषरू चीलकीगिरी मरल्यूं अरलू कुंभेर पाठ येस र्बबराबरिले इनकुंजौकूटकरिटंक २ कोकाटोदोन्यूंवषनांदिन ११ देतो चित्तम्भमसन्निपानदूरिहोय ५ अथसीनांगसन्निपात कोलक्षएालिष्यते जींमनुष्यकोसरीरसारोसीतलपालासिरीसोहोजाय परकांपैहिचकी द्यावे अंगसिथलहोजाय स्वासहो यत्र्यांचे अरषासीहोय वमनहोय मुषमैंलालपड़े जीकेयेलक्षण होयत कैसीतांगसन्निपातजानिये येभीमहान्प्रसाध्य छै ईसन्नि पानवालोजीवेनहींनाइलाजछै तथापिईकोजतनलिषिजैछै ईसन्निपात वालारोगीकोवीकठाजै श्ररसींगी मुहरोतेलमैमिं लायश्र्वमर्दनसरीर कैकीजै अरसींगी मुहरो लसनराई इनकूंपी सिगोमूत्रमें इनकीरोटीकीजे रोगी कों क्षौर करायरोटी वेंकैमांथे बांधै सरीर नानोहोयतवताईरोटीराषे तापनही येतोरी गीमरीजाय अरईकोउवटएगोलिंडूं पारोटक ५ सांगीमुहरो टंक ५कालीमिरचिटंक २० धतूरकाडोडाकीराषटंक ४० यांने मिहीवांटिसरीरकैमर्दन करैनोसीनांगदूरिहोय ६ प्रथतंडिक सन्निपातको लक्षणलिष्यते जीमनंदाघणी होय परज्वर कोवेगघगोहोय तिसघणीहोय जीभ काली होय रषरधरीहो य स्वासहोय तीसारहोय परदाह होय कानांमैपीडाहोय येन क्षणजीकाहोय तीकैतंद्रिकसन्निपातजाणिजे ७ अथतंडिकको जननलिष्यते भाडंगी गिलवै नागरमोथो कट्याली हरडेकीछा लि. पुहकरमूल येबराबरिले इन कूंजोकूटकरिटंक २० कोकाटोदि For Private and Personal Use Only
SR No.020035
Book TitleAmrutsagar Vaidyak Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSawai Pratapsinh Maharaj
PublisherGyansagar Press
Publication Year1860
Total Pages590
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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