SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 96
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ७२ आकृति निदान था। पहली अगस्त सन् १८६३ से लेकर आजतक सिर्फ दो बार भोजन करता हूँ। सवेरे दलिया और फल या मोटे आटे. की रोटी और फल, दोपहरको ऊपर लिखे हुए क्रमके अनुसार कच्चा साग दलिया और कच्चा फल, पर शामको कोई चीज भी न खाता था। ____ इस चिकित्सिासे जो लाभ हुआ वह चित्रसे प्रकट है । मैं अपनी ओरसे कुछ नहीं कहना चाहता। चित्र स्वयं ही कह रहा है। हां, इतना मैं अवश्य कह देना चाहता हूँ कि पहले मैं बहुत कुछ गंजा था पर अब वह गंजापन दूर हो गया है और बाल फिर उग आये हैं। मेरा बदन इतना ज्यादा बदल गया है कि साढ़े तीन वर्षों के अन्दर मुझे बूटसे लेकर हैटतक बदलनी पड़ी और इस बातपर तो शायद आप विश्वास न करेंगे कि ५५ बरसकी उम्रमें मेरी सबसे पीछेवाली दाढ़ नये सिरेसे फिर निकल आयी है। यह बात बिना कुइनेके इलाजके होनी असम्भव थी। आजकल मेरे स्कूलमें छुट्टी है, इसलिये जब कभी दिन अच्छा रहता है तो मैं सूर्य-स्नान, वायुस्नान और प्रकाशस्नान भी करता हूँ। इससे मुझे बड़ा लाभ पहुँचता है। प्रभाग्यसे मैं यह क्रम घरपर जारी नहीं रख सकता, क्योंकि मेरा काम धन्धा ऐसा है कि मुझे इसके लिये समय नहीं मिलता। अब मैं इस पत्रको समाप्त करता हूँ और फिर यह कहता हूँ कि यह दोनों तसवीरें आपकी सेवामें हैं। मेरे इलाज के बारेमें अगर For Private And Personal Use Only
SR No.020024
Book TitleAakruti Nidan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLune Kune, Janardan Bhatt, Ramdas Gaud
PublisherHindi Pustak Agency
Publication Year1949
Total Pages160
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy