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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २६ आकृति निशन यदि सिरके बिलकुल आधे हिस्से में बादीपन रहता है तो आधे सिर में दर्द होने लगता है। वर्षोंतक इस तरहका सिर दर्द रहने के बाद भी शायद कोई बुरी दशा न दिखलाई पड़े पर अन्तमें उस भागका बादोपन इतना बढ़ जाता है कि शरीर के विजातीय द्रव्यको लाचार हो दूसरी जगह अपने लिये स्थान ढूंढ़ना पड़ता है। मेरे जान पहचान की एक स्त्री पन्द्रह वर्षोंसे लगातार अधकपारीसे तकलीफ उठा रही थी। डाक्टरोंकी दवा से उसे कुछ लाभ न पहुँचा। डाक्टर साहब उसे दम दिलासा देते रहे कि कुछ दिन बाद यह दर्द आप मिट जायगा । वास्तवमें उसका दर्द पन्द्रह बरस बाद बिलकुल जाता रहा, पर दर्द के साथ ही साथ उसकी माँखोंको रोशनी भी गायब होने लगी। कोई कल्पना भी न कर सका कि अधकपारीसे इस अधेपनका कोई सम्बन्ध है । पुरानी तकलीफ दूर हो जाने के बाद अब सिर्फ इस बातपर खेद प्रगट किया जाने लगा कि एक नई मुसीबत उठ खड़ी हुई है । वास्तव में यह एक सरल समस्या थी । विजातीय द्रव्य आँखोंतक पहुँच गया था । उस स्त्रीके शरीरकी बनावट इतनी ज्यादा मजबूत थी कि वह अन्धेपनसे इतनी मुद्दत तक बची रही। बरबादीपन से प्रायः शरीर के चमड़े के काम में रुकावट पड़ती रहती हैं। अतएव बाई भोरका बादीपन दाहिनी ओर बादोपन से अधिक हानिकर होता है । दाहिनी ओरके For Private And Personal Use Only
SR No.020024
Book TitleAakruti Nidan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLune Kune, Janardan Bhatt, Ramdas Gaud
PublisherHindi Pustak Agency
Publication Year1949
Total Pages160
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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