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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मकबर की धार्मिक नीति किन्तु फिर भी वह धार्मिक मामलों में उदार था, इसका बहुत कुछ श्रेय उसके पूर्वजों की उदार धार्मिक विचार धारा को दिया जा सकता है । उसके शरीर में तु, मंगोल और रानी रक्त था । मातृ पक्ष की वोर से अकबर चंगेज खां के वंश से सम्बन्धित था । यपि चंगेज खां बौद्ध धर्म को मानता था, परन्तु उसे अपनी प्रजा के विभिन्न धार्मिक कृत्यों में - सम्मिलित होने में कोई संकोच नहीं होता था। चंगेज बार उसके पूर्वज परिस्थितियों के अनुसार अपने आपको बदल लेते थे। पितृ पदा की और से अकबर मूर के वंश से सम्बन्धित था और तमूर कोज खां का भी सम्पत्रिी था । तैमूर मी कमी सुन्नी बार कभी शिया हो जाता था । अकबर का! पिता मह बावर स्वयं तैमूर वंश का था । बाबर की माता चंगेज वंश के मंगोल शासक युनस की पुत्री थी । बाबर धर्मनिष्ठ वार ईश्वर में इड आस्था, रखने वाला व्यक्ति था, ययपि वह सुन्नी था लेकिन वह स्वतंत्र विचारों का पोषक था । बाबर का पुत्र और अकबर का पिता हुमायू भीसी कट्टर साथ नहीं था । उसने परिस्थिति वश फारस में शिया धर्म ग्रहण कर लिया था | मायं की पलि हमीदा बान् बेगम जो कि फारम के शिया शेख अली अकबर जामी की पुत्री थी, हुमायं के समान वह भी संकीर्ण विचारों वाली नहीं थी । इस तरह अकबर के पूर्वज राजनैतिक बावश्यक्ताओं के कारण वीर अपनी महत्वाकांपाओं की पूर्ति के लिये धार्मिक मामलों में उदार हो जाते थे । बत: वंश परम्परा से बकबर में पार्मिक कटटरता बाने के लिये कोई स्थान नहीं रह गया था । ४. अकबर के संरपाक तथा शिक्षाको का उदार दृष्टि कोण - ___ अकबर का संरपाक और प्रधान परामर्श दाता राम खां विदता • और काव्य के गुणों से विभूषित था । लेसको व विद्वानों का वह वाय दाता था । वह शियामत को मानने वाला था । बदामी लिखता है १ कि-" बुद्धिमत्ता, उदारता, निकपटता, स्वभाव की बच्छाई, For Private And Personal Use Only
SR No.020023
Book TitleAkbar ki Dharmik Niti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNina Jain
PublisherMaharani Lakshmibhai Kala evam Vanijya Mahavidyalay
Publication Year1977
Total Pages155
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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