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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra अकबर की धार्मिक नीति www.kobatirth.org पूजा किया करते हैं तो मैंने कुछ व्यक्तियों को मंदिर के विनाश के लिये भेज दिया । २० इस प्रकार के अनेक उदाहरण उसकी नृसंसता का परिचय देते है । वस्तुत: अन्तत: यही कहा जा सकता है कि फीरोज इस्लाम के अतिरिक्त किसी भी धर्म को जागृत अवस्था में नही देखना चाहता था यही कारण है कि इस्लामी निष्ठा के लिये हिन्दुर्बी पर अनेक अत्याचा किये । लोधी सुल्तानों की धार्मिक नीति : Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लोधी शासकों ने मी धार्मिक क्षेत्र में अपने पूर्व शासकों का अनुकरण किया उन्होंने उलेमाओं को पूर्ववत उच्च पदों पर ही प्रतिष्ठित किया । लेकिन उन्होंने फीरोज तुगलक बादि की तरह उलेमाओं को ही राज्य का महत्व पूर्ण वर्ग नही माना अपितु वह उलेमाओं पर मी नियंत्रण रखते थे । २० २१ - डोर्न रिजवी - तुगलक कालीन भारत 12 बहलोल लोची अवश्य बफगान बनीरों के साथ ही उलेमाओं को भी अत्यअधिक महत्व देता था । किन्तु सिकन्दर ने इस महत्व को कम कर दिया और यही स्थिति इब्राहीम के समय भी रही। कुछ लोगों का कहना है कि वहलोल ने सद वाईन नामक सन्त की सेवा की थी बोर उसे अमीष्ट घन ( २००० रुपये ) दिया था जिसके वदले में सन्त ने प्रसन्न होकर ये शब्द कहे - ईश्वर करे दिल्ली साम्राज्य की राजगादी को वाप सुशोभित करें । २१ कुछ भी हो यह तो निश्चित है कि वल्लोल दरवेश सन्त एंव उलेमाओं का अत्याधिक वादर करता था लेकिन सिकन्दर के आते ही उठेमा की इस स्थिति पर नियंत्रण लग गया । यमपि यह निश्चित है कि सिकन्दर बड़ा धार्मिक व्यक्ति था वीर राज्य प्रबन्ध में For Private And Personal Use Only भाग २ पृष्ठ ३३३ मखजन अफगानी पृष्ठ ४३ तारीखे दाऊदी में २००० टंक के स्थान पर १३०० टंक लिखे है ।
SR No.020023
Book TitleAkbar ki Dharmik Niti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNina Jain
PublisherMaharani Lakshmibhai Kala evam Vanijya Mahavidyalay
Publication Year1977
Total Pages155
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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