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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मकर की धार्मिक नीति इस तरह हम देखते हैं कि सुल्तान मोहम्मद हमें धर्म क्षेत्र में विभिन्न रूपो को प्रर्दशित करता है । वास्तव में वह दिल्ली सुल्तानों की पक्ति में स्क नवीन रुप का अवलोकन करता है। फीरोज तुगलक थामिक दृष्टि से स्क श्रेष्ठ मुसलमान के रूप में हमारे समा जाता है । इस्लाम के प्रचार और प्रसार को वह अपना धार्मिक कर्तव्य समकता था । वह अपने ग्रन्थ फतहाते फीरोजशाही में लिखता है कि मैंने अपनी काफिर प्रजा को पाबर का धर्म अंगीकार करने! के लिये प्रोत्साहित किया और घोषणा की कि प्रत्येक व्यक्ति को जो । अपना धर्म छोड़कर मुसलमान हो जाएगा, जजिया से मुक्त हो जाएगा। उसे इस वात का बड़ा खेद था कि वालण जो कि के माम है - जजिया से वंचित है फलत: उसने ब्राह्मणों पर भी जजिया लगा दिया । उमा के प्रति भी वह अपनी पूर्ण श्रद्धा त्या भक्ति रखता था वह जानता था कि मोहम्मद की मृत्यु के बाद उन्ही ने उसे शासक नियुक्त किया था त्या सुल्तान मोहम्मद की बसफलता का कारण मी उठेमा से संघर्ग था । इन सव कारों से फीरोज अत्याधिक सजग था साथ ही उसकी आत्म प्रवृति भी धार्मिकता की और अधिक फकी हुई थी । इस लिये उसकी इस्लाम में पूर्ण निष्ठा थी। हिन्दुओं के प्रति फीरोज की नीति कटटर मान्ध मुसलमान की थी वह हिन्दुओं के पार्मिक रीति रिवाजों को पूर्णत: नष्ट कर देने के पदा में था। उसने नगर कोट, बागर पर बामण के समय वहां के प्रसिद्ध मंदिर को भूमि सात कर दिया । अनेको मूर्तियों को तुडवा कर फिकवा दिया । बफीफ की तारीख और फीरोज की वात्म क्या हिन्दुओं पर किये गये अत्याचारों का स्पष्टांकन करती है । अपनी पुस्तक फलात में फीरोज लिखता है कि मुझे यह सूचना मिली कि कुछ हिन्दुओं ने सालिहपुर गांव में एक नया मंदिर बनवा ख्यिा और मूर्ति For Private And Personal Use Only
SR No.020023
Book TitleAkbar ki Dharmik Niti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNina Jain
PublisherMaharani Lakshmibhai Kala evam Vanijya Mahavidyalay
Publication Year1977
Total Pages155
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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