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________________ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra अक्र की धार्मिक नीति 119 बकबर ने घमासन से नीचे उतर कर नमाज मी पढ़ाई । दीनालाही के प्रसाई रण के भी कई वर्षों बाद अबुल फजल की मृत्यु के बाद तथा उसकी कद्र । पर कबर ने स्वयम् नमाज पढ़ी । यह कहना मी व्यर्थ है कि नमाज के समय रेशमी वस्त्र तथा बाभूषण पहनना अनिवार्य कर दिया था क्योंकि इस बात का अभी तक कोई फरमान उपलब्ध नही हुवा है न ही इस बात। का प्रमाण है कि रमजान मैं रोजा न रखने का आदेश दिया गया हो। अकबर के विरुद्ध विहार व बंगाल में जब मुल्लाओं की थामिक प्रणा से । युद्ध हुवा था, तब उनष्कृित मसजिदों में नमाज और जान बन्द कर दी गयी थी। २. मका व मदीना की तीर्थ यात्रा पर मी अकबर ने कोई प्रति बन्ध नहीं लगाया । मक्का की तीर्थ यात्रा पूर्ववत की भांति जारी रही । १५७७ में शाह बबू तुराब के नेतृत्व में राजकीय व्यय से हज के यात्रियों का एक कारवां भेजा गया था । सन् १५८० में जब मीर बड तुराब मक्का की तीर्थ यात्रा से लौटा तो वह अपने साथ एक मारी पागाण लाया था। जिस पर कहा जाता था कि मुहम्मद पावर के पांव का निशान बंकित था । बस राव ने कहा कि स्क पवचित सुलतान फिरोज के समय - सलीव जाल बुलारी लाया था । यत्र चिन्ह दूसरे पर का है । अकबर जानता था कि यह बात सच नहीं है । विशेषज्ञों ने भी इसे असत्य सिद्ध कर दिया था, फिर मी अकबर ने आदेश दिया कि यात्रियों का कारवां राजधानी से चार कोस की दूरी पर ठहरे । अकबर के लिये बहुत अच्छा शामियाना बड़ा किया गया और बड़े बड़े अफसरों और विद्वानों के साथ । वहां वह गया । उसने पद चिन्ह वाले पत्थर को अपने कन्धे पर रखा बार कुछ श ले गया और फिर अफसरों ने उसको कन्धे पर रखा, बन्त में उसको मीर बह तुराब के मकान में रख दिया गया । २६ दीनालाही के प्रसारण २६ - अकबरनामा - हिन्दी अनुवादक - मथुरालाल शर्मा पृ० १८४ + + + + 4. . For Private And Personal Use Only
SR No.020023
Book TitleAkbar ki Dharmik Niti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNina Jain
PublisherMaharani Lakshmibhai Kala evam Vanijya Mahavidyalay
Publication Year1977
Total Pages155
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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