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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ਦਲੀ ਰੀਲ ਜੀਰ 118 लिये अधोलिखित उदाहरण प्रस्तुत किये जा सकते हैं - (१) बदायुनी लिखिता है कि " अकबर ने नमाज वर्जित कर दी थी उसने । दरबार में नमाज पड़ना निषिद्ध कर दिया था । दरबार - र - जाम में अजान बन्द करवा दी थी, जो कि पांच समय पड़ी जाती थी । उसने - लोगों को अपने स्वयम् तथा अपने बच्चों के लिये मुहम्मद वार अहमद नाम रखने की मनाही कर दी थी, क्योंकि वह मुहम्मद के नाम से घृणा करने लगा था । इस लिये का जहां पैगम्बर मुहम्मद का नाम जाता था, वहां! वां उसने नाम परिवर्तित कर दिये । २३ (२) अकबर ने नमाज के समय रेशमी वस्त्रों और आपूषणों के पहनने की। सनुमति दे दी जब कि इस्लाम में मैं नमाज के समय जरी के वस्त्र धारण करना निषेध है। (३) मुसलमानी धर्म के अनुसार रोजा रखना, ईद का त्योहार मनाना, ! मुसलिम त्योहारों को मनाना वादि अकबर ने छोड़ दिया था और इनके स्थान पर उसने दीवाली, होली, रपा बन्या से हिन्दू त्योहारी। को अपना लिया था। (४) ईसाई पादरी पीन्हीरो लिखता है कि इस बादशाह ने मुहम्मद के कुठे धर्म को नष्ट कर दिया, उसे बिलकुल बदनाम कर दिया । इस शहर में न तो कोई मसजिद है, नकुरान । जो मसजिद पहले से थी, उन्हें । घोड़ों का अस्तबल या गोदाम बना दिया गया है । मुसलमानों को . अत्यन्त लज्जित करने के लिये प्रत्येक शुक्रवार को ४० या ५० सूवर लाकर बादशा के सामने लड़ाये जाते है । वह उनके खांगों (दंष्टा ) को लेकर । सोने में मदा कर रखता है | बादशाह ने अपना एक नया धर्म बनाया है, जिसका वह स्वयम् पैगम्बर है | २५ 23- AZ-Badamni Trans, by K.H. Lowe Vol. II P. 324 24 - Al-Badamni Trans, by WH, Lowe Vol. II P. 204,6 For Private And Personal Use Only
SR No.020023
Book TitleAkbar ki Dharmik Niti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNina Jain
PublisherMaharani Lakshmibhai Kala evam Vanijya Mahavidyalay
Publication Year1977
Total Pages155
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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