SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 57
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५५ अगरोहा और उसकी प्राचीनता पूरी तरह वह नहीं उजड़ा था । अभी उसमें कुछ आबादी विद्यमान थी। अगरोहा का सब से पुराना उल्लेख टौल्मी के भूगोल में मिलता है । ईसवी सन् के शुरू होने से लगभग सवा तीन सौ वर्ष पहले सिकन्दर ने भारत पर आक्रमण किया था। सिकन्दर मैसिडोन का राजा था । मैसिडोन ग्रीस व यूनान के उत्तर में शक्तिशाली राज्य था, जिसके राजाओं ने ग्रीस को भी जीत कर अपने आधीन कर लिया था। सिकन्दर ने भारत के भी कुछ हिस्से---उत्तर पश्चिमी पंजाब को जीता था। तब से ग्रीक व यूनानी लोगों को भारत में बहुत दिलचस्पी हो गई थी। अनेक ग्रीक ऐतिहासिकों ने भारत पर पुस्तकें लिखी थीं । टौल्मी उनमें से एक है, और उसकी भूगोल सम्बन्धी पुस्तक बड़ी प्रसिद्ध है । संसार का ठीक ठीक भूगोल जानने के लिए जो प्रयत्न प्राचीन समय में हुवे, उनमें टौल्मी का भूगोल शायद सबसे महत्त्व का है । इस टौल्मी ने अपने भूगोल में भारत का हाल लिखते हुए एक शहर लिखा है, जिसका नाम उसने अगारा ( Agarl ) दिया है । रेनेल ने इस अगारा को अगरोहा से मिलाया है । कुछ लोगों का खयाल था, कि अगारा को वर्तमान समय के आगरा से मिलाना ज्यादा ठीक होगा। इस पर रेनेल ने लिखा है"यदि टौल्मी का मतलब अगारा से आगरा का था; तो निश्चय ही आगरा को प्राचीन नगर मानना चाहिए। पर दिक्कत यह है, कि टौल्मी ने अपने नकशे में अगारा वहां नहीं दिया है, जहां हमें आगरा को ढूढना 1. Cambridge History of India. Vol. III p. 153. 2. McCrindle, Ancient India as described by Ptolemy, p. 154. For Private and Personal Use Only
SR No.020021
Book TitleAgarwal Jati Ka Prachin Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatyaketu Vidyalankar
PublisherAkhil Bharatvarshiya Marwadi Agarwal Jatiya Kosh
Publication Year1938
Total Pages309
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy