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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अगरोहा और उसकी प्राचीनता में विद्यमान किले के खण्डहर इन्हीं दीवान नन्नूमल के किले के हैं । पर इससे अगरोहा के खेड़े की प्राचीनता में कोई भेद नहीं पड़ता। यह वस्तुतः दुर्भाग्य की बात है, कि सन १८८९ में इसकी जो खुदाई प्रारम्भ हुई थी, उसे जारी नहीं रखा जा सका । अन्यथा, बहुत-सी उपयागी वस्तुवें उपलब्ध हो सकतीं। अगरोहा के अतिरिक्त दो अन्य स्थान हैं, जिन्हें स्थानीय किंवदन्ती के अनुसार अग्रवालों का मूल निवासस्थान कहा जाता है। एक है आगरा', जो प्रसिद्ध मुग़ल सम्राट अकबर की राजधानी था। दूसरा स्थान आगर है, जो मध्य भारत में उज्जैन से लगभग ४० मील उत्तर पूर्व में स्थित है । बम्बई प्रांत के और विशेषतया गुजरात के अग्रवाल यह मानते हैं, कि वे इस आगर से अन्य स्थानों पर जाकर बसे हैं।' पर ध्यान रखने की बात यह है, कि अगरोहा के अग्रवालों का मूल निवास स्थान होने की बात जहां प्रायः सभी अग्रवालों में प्रचलित है, वहां आगरा और आगर के सम्बन्ध में यह किंवदन्ती केवल स्थानीय है । भाट लोग भी अगरोहा को ही अग्रवालों का आदिम निवासस्थान बताते हैं । इस दशा में दो बातें सम्भव हैं—या तो आगरा और आगर के संबन्ध में यह बात केवल नाम की समता के कारण चली हो और या अग्रवालों ने अगरोहा के बाद ये बस्तियां भी अपने नाम से ही बसाई हो। देर तक कुछ अग्रवाल इन बस्तियों में रहे हों और फिर वहां से भी अन्य स्थानों पर जाकर लोग बसे हों । हमें यह दूसरी बात अधिक सम्भव प्रतीत होती 1. Agra-District Gazatteer. 2. R. E. Enthoven. Tribcs and Castes of Bombay, 1922. Vol. III. p.426. For Private and Personal Use Only
SR No.020021
Book TitleAgarwal Jati Ka Prachin Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatyaketu Vidyalankar
PublisherAkhil Bharatvarshiya Marwadi Agarwal Jatiya Kosh
Publication Year1938
Total Pages309
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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