SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 52
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अग्रवाल जाति का प्राचीन इतिहास दीवार भी निकली है। खेड़े के समीप ही एक विस्तृत नीची जमीन है, जहां आज कल बहुत बढ़िया फसल होती है। अवश्य ही, यहां पुराने जमाने में एक तालाब था। अगर इन प्राचीन खण्डहरों पर दृष्टिपात करें, तो राजा अग्रसेन का किला तो इनके मुकाबले में एक नये जमाने की चीज़ मालूम होता है, यद्यपि उसका निर्माण भी ईसवी सन के प्रारम्भ होने से पहले हुवा था।" अगरोहा के खण्डहरों में जिस पुराने किले के निशान दृष्टिगोचर होते हैं, वह सामान्यतया राजा अग्रसेन का बनवाया हुवा समझा जाता है। इसी लिये हिसार गजेटियर के लेखक तथा श्रीयुत राजर्स ने भी इसका उल्लेख कर दिया है। पर वस्तुतः राजा अग्रसेन का किला वह नहीं है, जो आजकल अगरोहा में दिखाई पड़ता है। एक अन्य किंवदन्ती के अनुसार इस किले का निर्माण पटियाला के राजा अभरसिंह के सेनापति दीवान नन्नूमल ने कराया था। राजा अमरसिंह का समय सन् १७६५ से १७८१ तक है। दीवान नन्नूमल अग्रवाल वैश्य थे। अपनी योग्यता से वे पटियाला राज्य में बड़े ऊंचे पद पर पहुँच गये थे। कुछ समय तक तो वे पटियाला राज्य के सर्वेसर्वा रहे थे। मुग़लों से उनके बहुत से युद्ध हुवे । पटियाला राज्य के उत्कर्ष में उनका भारी कर्तृत्व था। इन्हीं दीवान नन्नूमल ने राजा अग्रसेन के पुराने किले के ध्वंसावशेष पर नये किले का निर्माण कराया था। सम्भवतः, अगरोहा 1. Hissar District Gazateer, 1915, pp. 256—7. 2. दीवान नन्नूमल के विस्तृत हाल के लिये Griffin's Punjab Rajas और Panjab States Ghzatteers, Vol. XVII A. देखिये । For Private and Personal Use Only
SR No.020021
Book TitleAgarwal Jati Ka Prachin Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatyaketu Vidyalankar
PublisherAkhil Bharatvarshiya Marwadi Agarwal Jatiya Kosh
Publication Year1938
Total Pages309
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy