SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 154
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अग्रवाल जाति का प्राचीन इतिहास १५२ होने से पहले ही, दिल्ली तथा उसके समीपवर्ती प्रदेशों को जीतकर वहां अपना राज्य स्थापित कर लिया था। दिल्ली नगरी के सम्बन्ध में भी यह अनुश्रुति है, कि उसका निर्माण तोमारों द्वारा ही हुवा था ।' दिल्ली में अपनी शक्ति स्थापित करने के अनन्तर तोमार राजपूतों ने अगरोहा के ऊपर आक्रमण किया था। दिल्ली पर तोमारों का अधिकार किस समय हुवा, इस सम्बन्ध में ऐतिहासिकों में मतभेद है, ईलियट के अनुसार यह अधिकार सात सौ छत्तीस ईसवी में और टाड के अनुसार सात सौ बानवें ईसवी में स्थापित हुवा था। तोमार राजपूतों ने इसके कुछ ही समय बाद अगरोहा का विजय किया । अनुश्रुति के अनुसार जिस तोमार राजा ने अगरोहा तथा उसके समीपवती देश को विजय किया, उसका नाम विजयपाल था।' अग्रवालों के भाट बताते हैं कि समरजीत नामक एक राजपूत राजा ने अगरोहा पर आक्रमण कर उसको विजय किया था। समरजीत किस वंश का था और किस देश का राजा था, इस सम्बन्ध में कोई सूचना भाटों की गीतों से नहीं मिलती। पर भारतीय इतिहास के राजपूत-काल में तोमार राजपूतों ने ही पहले-पहल उस प्रदेश को जीता, जिसमें 1. देशोऽस्ति हरियानाख्यः पृथिव्यां स्वर्ग सन्निभः । ढिल्लिकाख्या पुरी तत्र तोमारैरस्ति निर्मिता ।। देखो C. I'. Vaidya, History of Mediacal Hindu India, Vol.III. p. 30-1. Cal Cambridge History of lodia. Vol. II, p. 307 और 15 2, Hissar District Citrater ( History विषयक अध्याय ) For Private and Personal Use Only
SR No.020021
Book TitleAgarwal Jati Ka Prachin Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatyaketu Vidyalankar
PublisherAkhil Bharatvarshiya Marwadi Agarwal Jatiya Kosh
Publication Year1938
Total Pages309
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy