SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 218
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सूत्रम् ॥१००३॥ तेज प्रमाणे साधुने मार्गमा पूछे, के जळमां धनारां कंद मूळ छाल पांदडां फूल फळ वीज हरित (भाजी) पाणी अथवा स्थापेला आचा. अग्नि होय तो नतावो, ते समये पण मौन रहे, जाणवा छतां, 'नथी जाणतो' एम कहेवू, अथवा पूछे के मार्गमां जब घउंनां खेतर . है अथवा जु, जुहूँ जे जोयु होय ते कहो, तोपण मौन रहेg, तेज प्रमाणे पूछे के अहोथी गाम अथवा राजधानी केटली दूर छे? तो ॥१००३॥ पण मौन रहे, अथवा अमुक गाम अथवा नगर के राज्यधानीए क्यो रस्तो जाय छे? विगेरे पूछे तो मौन रहे, पण ते संबंधी उत्तर आपत्रो नहि. से भिक्खू० गा. द. अंतरा से गोणं वियालं पडिवहे पेहाए जाव चित्तचिल्लई वियालं प० पेहाए नो तेसि भीओ उम्मग्गेणं गच्छिज्जा नो मग्गाओ उम्मग्गं संकमिज्जा नो गहणं वा वणं वा दुग्गं वा अणुपविसिज्जा नो रुक्खंसि दूरुद्दिज्जा नो महइमहालयंसि उदयंसि कायं विउसिज्जा नो वाई वा सरणं वा सेणं वा सत्यं वा कंखिज्जा अप्पुस्मुए जाव समाहीए तओ संजयामेव गामाणुगाम दुइज्जिज्जा ॥ से भिक्खू, गामाणुगाम दुइज्जमाणे अंतरा से विहं सिया, से जं पुण विहं सिया, से जं पुण विहं जाणिज्जा इमंसि खलु विहंसि बहवे अमोसगा। उवगरणपडियाए संपिडिया गच्छिउजा, नो तेसि भीओ उम्मग्गेण गच्छिज्जा जाव समाहोए तओ संजयामेव गामणुगामं दृइज्जेज्जा ।। (मू० १३०) ते भिक्षुने विहार करतां मार्गमां बळध के साप उन्मत्त थएलो जुए, सिंह चीतरो अथवा तेनुं बच्चु जुए, तो तेना भयथी Wडरीने उन्मार्गे जवु नहि, तेम उज्जड अरण्यमांघुसवू नहि, तेम झाड उपर पण चडवू नहि, तेम पाणीमां पण पेसयु नहि, तेम 5. वाडामां पेसवु नहि, बीजानु शरण चाहवू नहीं, पण उत्सुकता राख्या विना शांतिथी जg आ मूत्र जिनकल्पी आश्रयी हे, पण BR-CRAE% WEARNER-ENROERA For Private and Personal Use Only
SR No.020012
Book TitleAcharanga Stram Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilankacharya
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1935
Total Pages328
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy