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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra आचा० ॥ ९९६ ॥ www.kobatirth.org बे पग वडे पाणी डोळता जत्रुं नहि, पण जयणाथी पाणी उतरनुं, जेम सरलताथी जवाय तेम जाय, पण विकार करतो आम तेम जोतो न चाले. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ते भिक्षु जंघासुधीना पाणीमां उतरी जतां हाथ साथ हाथ पग साथ पग विगेरे, अपकायनी रक्षा माटे लगाडवां नहि, तेज | प्रमाणे सुख मेळवावा दाह मटाडवा. उंडापाणीमां-छाती सुधीना पाणीमां उतरनुं नहि, फकत जंघा सुधीना पाणीमांज उतरखुं, पण पाणीमां उतर्या पछी उपकरण सहित चालवा पोताने असमर्थ जुए अने डुबवानो वखत आवे तो वोजावाळां उपकरण त्यजी देवा. पण शक्तिवान होय तो उपकरण सहित उतरे, पछी किनारे जइने इर्यावहि करी पाणी नीतरी गया पछी कायानी भीनाश ओछी थाय पछा शरीर तपावीने विहार करे. हवे पणीमांथी नीकळया पछीनी गमन विधि कहे छे. सेभिक्खू बा० गामा दुइज्जमाणे नो मट्टियाग एहिं पाएहिं हरियाणि छिंदिय २ विकुज्जिय २ विफालिय २ उम्मग्गेण रिहा गच्छिज्जा, जमेथे पाएहिं मट्टियं विष्यामेत्र हरियाणि अवहरंतु, माइट्टाणं संफासे, नो एवं करिज्जा, से पुच्चामे अपहरियं मग्गं पडिलेहिज्जा तओ० सं० गामा || से भिक्खू वा २ गामणुगामं दूइज्जमाणे अंतरा से वप्पाणि वा फ० पा० तो० अ० अग्गलपासगाणि वा गड्डाओ वा दरीओ वा सइ परकमे संजयामेव परिकमिज्जा नो उज्जु०, केवली ०, सेत्थ परकममाणे पयलिज्ज वा २, से तत्थ पयलमाणे वा २ रुक्खाणि वा गुच्छाणि वा गुम्माणि वा लयाओ वा बल्लीओ वा तणाणि वा गहणाणि वा हरियाणि वा अवलंबिय २ उत्तरिज्जा, जे तत्थ पाडिपदिया उवागच्छति ते पाणी जाइज्जा २, तओ सं० अवलंबीय २ उत्तरिज्जा तओ सं० गामा० दू० ॥ से भिक्खू वा० गा० दुइज्माणे अंतरा से For Private and Personal Use Only सूत्रम् ॥९९६॥
SR No.020012
Book TitleAcharanga Stram Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilankacharya
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1935
Total Pages328
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size15 MB
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