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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आचा * सूत्रम् २॥ COEC ते भिक्षु प्रामान्तर जतां मार्गमां एम जाणे के आ वचपां आवेली नदी नाव विना उतराय तेम नथी तो नाव संबंधी तपास तपास करे के गृहस्थ खास भिक्षुक माटे नाव खरीद करे अथवा उछीती ले, अथवा अदलो बदलो करे, अथवा स्थळथी जळमां के जळथी स्थळमा लावे, भरेला वहाणने खाली करे, अथवा खुंची गयु होय तो साधु माटेज बहार कढावे, तेवी नावने उंचे लइ5 जवा नीचे लइ जवा अथवा तीरछी दिशामा अथवा कोइपण दिशामा लइ जबी पडे तो एक जोजन मर्यादा माटे अडधा जोजन (बे गाउ) माटे अथवा थोडे घणे दूर जवा माटे साधुए तेची नावमां बेसवु नहि, पण साधु एम जाणे के नाव तेना मालिके पोतान है योजनने तीरछी दिशामां हंकारी छे, तो ते वहाणमा जतां पहेला पोताना उपकरणोने एकांतमा जइने पडिलेहवां गोचरीनां | | पात्रां तपासी लेवां तथा पोताना शरीरने पगथी माथा सुधी पुंजवु, तथा सागारी अणसण करवु ( एटले आ जळथी बहार नीकडं तो मने आहार पाणी वापरतुं कल्पे, नहितो नहि.) पछी एक पग जळमां एक पग थळमां (पाणीनी उपर) मुकी साधुए नाव उपर चडवू (आ मूत्रमा साधु माटे जो नाव पेलेपार लइ जाय तो बने त्यांसुधी तेवी नावमा न बेसबुं. पण गृहस्थेने मादे जवा आववा माटे नाव चालु थइ होय तेमां बेसबु ) हवे कारण पडे नावमा बेसबुं पडे तो नावमां चडवानी विधि कहे छे. से मिक्खू वा. नावं दुरुहमाणे नो नावाओ पुरओ दुरुहिज्जा नो नावाओ मग्गो दुरुहिज्जा नो नावाआ मज्झओ दुरूहिज्जा नो बाहओ पगिझिय २ अंगुलियाए उद्दिसिय २ ओणमिय २ उअमिय २ निज्झाइज्जा । से णं परो नावागओ नावागयं वइज्जा-आउसंतो ! समणा एयं ता तुमं नावं उकसाहिजा वा बुक्कसाहि वा खिशाहि वा रज्जूयाए वा गहाय आकासाहि, नो से तं परिनं परिजाणिज्जा, तुसिणीओ उवेहिज्जा । से णं परो नावागओ नावाग० वइ०-आउसं० नो E CAREER For Private and Personal Use Only
SR No.020012
Book TitleAcharanga Stram Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilankacharya
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1935
Total Pages328
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size15 MB
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