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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir से भिक्खु० गाहावइकुलं पविसिउकामे सव्वं भंडगमायाए गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए पविसिज्ज वा निक्खआचा० मिज वा ॥ से भिक्खू वा २ बहिया विहारभूमि वा वियारभूमि वा निक्खममाणे वा पविसमाणे वा सव्वं भंड सूत्रम् ॥८८७॥ गमायाए बहिया विहारभूमि वा वियारभूमि वा निक्खमिज वा पविसिज्ज वा ।। से भिक्खू वा २ गामाणुगाम *॥८८७॥ दृइज्जमाणे सव्वं भंडगमायाए गामाणुगाम दुइजिज्जा ॥ (मू०१९) ते भिक्षु गच्छमांथी जिनकल्पी विगेरे मुनि नीकळ्यो होय, ते गृहस्थने घेर गोचरी लेवा जाय, तो पोतानां बधां धर्मोपकरण साथे लइने गृहस्थना घरमां पेप्से, अथवा नीकळे, तेवा मुनीनां उपकरण अनेक प्रकारे छे. ___“दुगतीग चउक्क पंचग नव दस एकारसेव बारसह" इत्यादि-ते जिनकल्पी वे प्रकारना छे, हाथमाथी पाणी टपके तेवा, | है तथा जे लब्धिवाळा होय तेने पाणीनं विंदु टपके नहि, तेवा मुनिने शक्ति अनुसार विशेष अभिग्रह होवाथी फक्त बेज उपकरण रजोहरण अने मुखवत्रिका छे, अने कोइने शरीरना रक्षग माटे एक मूत्रनुं कपडं होवाथी त्रण उपकरण थया, पण तेवा साधुने वधारे 18 ठंडीना कारणे उनर्नु वस्त्र वधारे राखवाथी चार उपकरण थयां, तेथी पण ठंडी न सहन थाय तो बे मूत्रनां वख राखवाथी पांच थयां. पण लब्धिविनाना जिनकल्पीने सात प्रकारनां पात्रानो निर्योग धवाथो १२ उपकरण थाय छे. "१ पत्तं २ पत्ताबंधो ३ पायहवणं च ४ पायकेसरिया ॥ ५ पडलाइ ६ रयत्ताणं ७ च गोच्छो पायनिज्जोगो ॥१॥" १पात्र २ पात्रानो बंध ३ पात्रस्थापन ४ पात्र केसरिका (पुंजणी) ५पडला ६ रजत्राण ७ गोच्छो. उपरनां पांच तेमां मळतां 3 बार उपकरण वधारेमा वधारे जिनकल्पीने होय, ते गोचरीमा जाय, त्यारे साथे लेइ जाय तेम बीजे स्थळे पण जतां साथे लेइ जाय, For Private and Personal Use Only
SR No.020012
Book TitleAcharanga Stram Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilankacharya
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1935
Total Pages328
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size15 MB
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