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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatrth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandie सुत्रम् दूध न होय ते नोनिपाती कहेवाय) एटले सिंहपणे घरथी नीकळी दीक्षा ले, अने लीषा पछी सिंह माफक पाळे, ते गणधर भगवंत || आचा जेचा पहेला भांगामां साधु जाणवा. ॥५८१॥ बीजो भांगो मूत्रवडे बतावे छे, पहेला चारित्र ले ते पूर्वोत्यायी पछी कर्म परिणतिना विचित्रपणाथी तेवी भक्तिव्यताना का-18 ॥५८१॥ &रणे नंदिषेण माफक पडी जाय (चारित्र मूकी दे) अने कोइ तो गोष्ठामाहिल माफक सम्यग्दर्शनथी पण दर शय. & त्रीजा भांगामां अभाव होवाथी लीधो नथी, ते आ छ, 'जेनोपुवुट्टायी पच्छानिवाती' एटले पूर्वे दीक्षा ले, तो पछी निपात के अनिपात कहेवाय. वाळो होय, तो धर्मनी चिंता कहेवाय, पण दीक्षा लीधानोज निषेध होय तो दीक्षामा ग्यो, के गयो, तेनी ४ चिंताज ते संबंधी दूर रही, चोथो भांगा बतावे छे. जेणे पूर्वे दीक्षा लीधी नथी; ते पाछळथी पडतो नथी, ते अविरत पटले, गृहस्थ जाणवो; तेने सम्यग विरतिना अभावथी । पोते दीक्षा लेतो नी; अने दीक्षा लीधा पछीज पडवानो संभव थाय; पण, दीक्षा लीधा विना तेनो संभव न होवाथी पडतो नथी; 18 अथवा ते भांगामा शाक्यमत विगेरेना साधुओ जाणना. क.रण के तेमनामां चारित्र लेवू अने मुकीदेवु ए जैन रीतिए बब्रेनो अभाव छे. ६ & शंका:-गृहस्थो चोथा भांगामा छे ते बोलवू योग्य छे, कारणके तेमनामां सावध-अनुष्ठान छे, अने दिक्षा न लेवाथी महाव्रतने लेवानी प्रतिज्ञारूप-मंदीर (मेरु) पर्वतना आरोप (चडवा)ना अभावथी पडवानो अभाव छे. पण शाक्यमत विगेरेने दीक्षा लेवाथी 18/पडवानो संभव छे, तो केवी रीते पडवानो अभाव न होय ? 1 उत्तर:-'सोपि'-ते शाक्यादि साधु साधुसमुदायने पण पंचमहावतभारना आरोपणना अभावथी तथा तेमनां अनुष्ठान रुप For Private and Personal Use Only
SR No.020010
Book TitleAcharanga Stram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilankacharya
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1933
Total Pages190
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size5 MB
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