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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir A स्थान छे. जघन्य उत्कृष्टनु विशेष आ छे, जघन्य वर्गणाना अनंतमेभागे अधिक उत्कृष्ट वर्गणा छे. अहीआं पण अनंत भागर्नु अ-12 आचा०४ नंत परमाणुपणुं जाणवू तेथी आ एक विगेरे प्रदेश वृदिना प्रक्रमथी अयोग्य वर्गणाओनुं जघन्य उत्कृष्टपणुं विगेरे जाणवू. अहीआंसूत्रम् विशेष आटलुं छे के जघन्य उत्कृष्टनो भेद अहीआं अभव्यथी अनंतगुणो अने सिद्धोथी अनंतमे भागे छे, ते वर्गणाओनुं पण पूर्व ॥२६०॥ है| हेतु कदंबक (समूह) थी भाषा द्रव्य अने आनापान (श्वासोच्छवास) द्रव्यर्नु अयोग्य पणुं जाणवू. अने अयोग्य उत्कृष्ट वर्गणामां है २६०॥ Pएक रूप नांखेथी आनापान वर्गणा जघन्य थाय छे. तेनाथी एक एक रूपे वधतां उत्कृष्ट वर्गणाओना अंतवाली अनंती थाय छे. 12 जघन्यथी उत्कृष्टा जघन्यथी अनंत भाग अधिक जाणवा तेना उपर एक रुप वधतां जघन्य उत्कृष्ट भेद वडे अग्रहण योग्य वर्गणा | छे. पण विशेषमा अभब्योथी अनंत गुण अने सिद्धोथी अनंतमे भागे छे. फरीथी अयोग्य उत्कृष्ट वर्गणा उपर प्रदेशथी मांडीने वृद्धि करतां जघन्य उत्कृष्ट भेदवाली मनोद्रव्य वर्गणा छे. जघन्य वर्गणानो अनंतमो भाग विशेष छे. फरीथी प्रदेशना वधता क्रमथी अग्रहण वर्गणा छे. विशेषमा अभव्यनो अनंत गुण विगेरे छे. अने ते वर्गणाओ प्रदेशना बहु पणाथी अने अति सूक्ष्म पणाथी मनो | द्रव्यने अयोग्य वर्गणाओ छे, तथा अल्प प्रदेशपणाथी अने बादरपणाथी कार्मण शरीरने पण अयोग्य छे, तेना उपर एक रुप नाखबाथी जघन्य कार्मण शरीरनी वर्गणा छे, वळी एक एक प्रदेशनी वृद्धि करता उत्कृष्ट अनंत सुधी छे. प्रश्न-जघन्य उत्कृष्टनो शुं विशेष छे.? उत्तर-जघन्य वर्गणानो अनंतमो भाग अधिक ते उत्कृष्ट वर्गणा छे, अने ते अंनत भाग अनंता अनंत परमाणुरूप होवाथी +सब-AISA CREASE For Private and Personal Use Only
SR No.020009
Book TitleAcharanga Stram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilankacharya
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1933
Total Pages204
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size11 MB
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