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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥१ ॥ वर्तमान, एत्रण काळना सर्व क्षेत्रमा रहेनारा पटले पंदर फर्म भूमि विगेरे स्थानमा रहेला तेमने पण नमस्कार कर्यो अने सुत्रम् अनुयोग कहेनार सुधर्मस्वामि विगेरेथी लइने, भद्रबाहु जे नियुक्तिकार , ते पोतानाथी पूर्वना आचार्योंने नमस्कार करे छे. आ नमस्कारमा एप पण आम्नाय बतावचाथी, पोतानी स्वेच्छा दूर करी जाणवी अने पोते पण गुरु पासे जे जाण्यं ते कई कत्वा' आ अव्यय वडे पूर्व अने उत्तर क्रियानो संवन्ध छे ते बतावे छे एटले नमस्कार करीने यथार्थ नामवाळा आचार भगवत लिनी, नियुक्ति करशे. भगवत् शब्दथी आचारांग भणनारने अर्थ, धर्म प्रयत्न, मुणनी प्राप्ति थशे तेथी ते भगवत् विशेषण वापर्यु छे. । नियुक्ति एटले निश्चय अर्थ बतावनार युक्ति तेने कहीश एटले अंदर रहेली नियुक्तिने मत्यक्ष कहीश, ॥ १॥ हवे जेवी 4-2 तिज्ञा करी छे तेज कहेवाने निक्षेपाने योग्य पदोने मुहृद् बनीने आचार्य महाराज एकठा करोने कहे छे. आयार अंग सुयखंध, बंभ चरणे तहेव सरथे य । परिणाए संणाए निक्खेयो तह दिसाणं च ॥२॥ F आचार, अंग, श्रुत, स्कंध, ब्रह्म, चरण, शस्त्रपरिज्ञा, संज्ञा, दिशा ए शब्दोना निक्षेपा करवा जोइए, तेमा आचार, ब्रह्म, चरण, शवपरिता ए शब्दो मोम निक्षेपामा जणवा तथा अंग, श्रुतस्कंध, शन्दो ओध निष्पन्न निक्षेपामां अने संज्ञा, दिशा, ए शब्दो, | मुबालापकनिष्पन्न निक्षेपामा आणवा एठले. दरेकना केटला निक्षेपा थाय ते बतावे छे. चरणदिसावजाणं निक्खेको चउक्कओ य नायबो । चरणमि छबिहो खलु सत्तविहो होइउ दिसाणं ।। चरण अने दिशा छोड़ीने वाकीना बघा शब्दोना चार भकारना निक्षेप है. चरणनो छ प्रकारनो भने दिशानो सात प्रकारको %ekocks For Private and Personal Use Only
SR No.020008
Book TitleAcharanga Stram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilankacharya
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1932
Total Pages214
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size5 MB
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