________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
अष्टम अध्ययन अष्टम उद्देशक ]
[ ५६७
श्रहारादि के अन्वेषण आदि की क्रिया से निवृत्त हो जाते हैं। वे शरीर के ममत्व को छोड़कर उससे लिप्त हो जाते हैं।
Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir
"आरम्भाओ तिउट्टद्द" के स्थान पर " कम्मुरणाओ तिउट्टई " ऐसा पाठान्तर पाया जाता है । उसका अर्थ है कि ऐसे समाधिमरण को स्वीकार करने वाला साधक आठ प्रकार के कर्म से मुक्त हो जाएगा। वह निकट भविष्य में कर्म से मुक्त होने वाला होता है इसलिए "वर्त्तमानसामीप्ये वर्त्तमानवद्वा” इस पेक्षा से वर्त्तमानकाल का निर्देश किया गया है । समाधिमरण की अभिलाषा रखने वाला साधक देह-ममत्व को छोड़कर भक्त - परिज्ञा, इङ्गितमरण और पादपोपगमन में से किसी का भी शक्ति अनुसार आराधना करे। यही आत्मशान्ति का अनुपम उपाय है ।
कसाए पय किचा, अप्पाहारे तितिक्खए । ग्रह भिक्खु गिलाइज्जा, प्राहारस्सेव अन्तियं || ३ || जीवियं नाभिकंखिज्जा, मरणं नो वि पत्थए । दुहत्रोऽविन सज्जिज्जा, जीविए मरणे तहा ||४||
संस्कृतच्छाया— कषायान् प्रतनून कृत्वा, अल्पाहारः तितिक्षते ।
अथ भिक्षुः ग्लायेत् आहारस्यैवान्तिकम् ॥ ३ ॥ जीवितं नाभिकांक्षेत् मरणं नापि प्रार्थयेत् । तोऽपि न संग विदध्यात् जीविते मरणे तथा ॥४॥
शब्दार्थ — कसाए = कषायों को । पयणू = हल्का । किच्चा = करके | अप्पाहारें - अल्पाहारी बनकर | तितिक्खए क्षमाधारण करे । श्रह = अनन्तर । भिक्खू -मुनि । गिलाइज ग्लान हो जाय तो । आहारस्सेव अन्तियं = आहार का सर्वथा त्याग कर दे || ३ || जीवियं जीवित रहने की । नाभिकंखिजा - अभिलाषा न करे । मरणं वि= मृत्यु की भी । नो पत्थए -इच्छा न करे । जीविए= जीवन में | तहा मरणे = तथा मरण में | दुहत्रोऽवि = दोनों में । न सञ्जिज्जा = गृद्धिअभिलाषा न रक्खे |
I
1
भावार्थ-संलेखना धारण करने वाला मुनि कषायों को हल्का करके, अल्पाहारी बनकर क्षमा धारण करे । अल्पाहार के कारण ग्लान होने पर मुनि आहार का सर्वथा त्याग कर अनशन धारण करे ३ । संलेखना करने वाला मुनि अधिक काल जीवित रहने की इच्छा न करे और कष्ट से घबरा कर मृत्यु की भी इच्छा न करे । जीवन और मरण दोनों में समभाव धारण करता हुआ वह मुनि किसी की भी इच्छा न करे ॥ ४ ॥
विवेचन - समाधिमरण की अभिलाषा रखने वाला मुनि संलेखना करने के लिए तत्पर हो उसके पूर्व उसे भाव संलेखना करनी चाहिए। भावसंलेखना का आत्मिक समाधि और शान्ति के लिए बहुत
For Private And Personal