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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ६३ अर्बुद प्रकरण सामग्री देने के लिए रक्तवाहिनियाँ बन जावेंगी और मूषक में कर्कटोत्पत्ति हो जावेगी। पर कर्कट के प्रति जो किसी भी प्रकार अनुहृष नहीं है ऐसे मूषक में कर्कट का प्रतिरोप करने का परिणाम यह होता है कि वहाँ की संयोजीऊति कोई भी संधार नहीं बनाती जिसके कारण प्रतिरोपित कर्कट के कोशा खाद्य के अभाव से मर जाते हैं। जिस प्रकार जीवाणुओं के प्रति प्राणी की प्रतीकारिता प्राकृतिक और अवाप्त होती है वैसी ही अर्बुदों के प्रति भी होती है। एक वर्ग के मूषकों में शीघ्र कर्कटोत्पत्ति और दूसरे वर्ग में बिल्कुल नहीं यह आनुवंशिक प्रतीकारिता वा अनुहृषता का ही प्रमाण है । एक ही वर्ग (species)के सभी मूषकों में भी कर्कट के प्रति अनुहृषता एक बराबर नहीं पाई जाती है। मूषकों में शिशुमूषक जितना शीघ्र कर्कट-प्रतिरोपों से प्रभावित होता है उतना प्रौढ मूषक नहीं जिसका अर्थ है कि प्रौढ मूषक ने प्रतीकारिता में वृद्धि की है तथा एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में अनुहृषता तो आती है पर प्रतीकारिता नहीं ऐसा भी इससे अनुमान होता है। ___ अवाप्त प्रतीकारिता की परीक्षा के लिए एक मूषक में एक कर्कट प्रतिरोप (transplant) कुछ काल तक उगने दिया गया और फिर उसे निकाल दिया गया और फिर नया दूसरा प्रतिरोप जमा दिया गया और देखा कि वह अब उगता है या नहीं। देखने से ज्ञात हुआ कि वह किन्हीं वर्ग के मूषकों में नहीं उगता और किन्हीं में उगता है तथा यह कि कुछ प्रकार के प्रतिरोपणशील अर्बुद अवाप्त प्रतीकारिता प्रदान करते हैं और कुछ प्रकार के नहीं करते । कर्कट की प्रतोकारिता के सम्बन्ध में अभी कुछ निश्चयात्मक रूप से नहीं कहा जा सकता है। ऐसा कहा जा सकता है कि यदि कोई व्यक्ति कर्कट के प्रति अनुहृष है तो उसके अंग में कर्कट उत्पन्न होने पर अन्य अंगों में भी उत्पन्न हो सकता है। पर यह असत्य है। त्वचा में कई दुष्ट अर्बुद हों तो उसके अन्य अंगो में भी होंगे यह कम देखा जाता है। स्त्रियों में आमाशयिक कर्कट नहीं मिलता पर प्रजननेन्द्रिय कर्कट बहुत होता है मनुष्यों में इसका उलटा देखा जाता है। होलैण्ड में आमाशयान्त्रिक कर्कट बहुत होता है। इंगलैण्ड में स्तन और गर्भाशय के कर्कट बहुत होते हैं जापान में स्तनकर्कट न होकर गर्भाशय-कर्कटाधिक्य होता है तीनों देशों में तीन प्रकार के कर्कटों की बहुत्वता होते हुए भी तीनों का टोटल एक ही रहता है। यदि एक प्राणी पर तारकोल पोतने पर एक स्थान में कर्कट हो जावे तो दूसरे स्थान पर तारकोल से कर्कट नहीं होता यह अवाप्त प्रतीकारिता (acquired immunity ) का अच्छा उदाहरण है। जिस प्राणी में द्रत कर्कट (spontaneous cancer ) हो वह तारकोल कर्कट के लिए प्रतीकारी (immune) होता है। परन्तु प्रतिरोपित कर्कट वाले प्राणी में तारकोल कर्कट उगाया जा सकता For Private and Personal Use Only
SR No.020004
Book TitleAbhinav Vikruti Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRaghuveerprasad Trivedi
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1957
Total Pages1206
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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