SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 40
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विषयानुक्रमणी प्रथम अध्याय व्रणशोथ या शोफ [ Inflammation] १-३२ - परिभाषा-१, हेतु-३, सामान्यलिङ्ग-५, विशेषलक्षण-६, व्रणशोथ में क्या होता है-८, व्रणशोथोत्पत्ति में रक्त का कार्य-८, बोणशोथात्मक जलसंचय क्यों होता है-१०, व्रणशोथोत्पत्ति और शारीरिक कोशाएँ १२, व्रणशोथ की प्राचीन कल्पना- १६, . व्रणशोथ-दोष तथा दूष्य १९, व्रणशोथ के कारण क्षेत्रीय परिवर्तन-२१, व्रणशोथ का प्रसार-२२, भौतिकीय विभेद-२३, व्रणशोथ के नैदानिकीय प्रकार-२६, श्लेष्मल कला के व्रणशोथ-२७, लस्यकलाओं के व्रणशोथ -२९, जीर्ण व्रणशोथ-३१ । द्वितीय अध्याय विविध शरीराङ्गों पर व्रणशोथ का प्रभाव ३३-२२६ [Effect of inflammation on various systems & organs of the body 1 अस्थिधातु पर व्रणशोथ का परिणाम-३५, अस्थिसन्धियों पर व्रणशोथ का परिणाम-४२, मांसधातु पर व्रणशोथ का परिणाम-५४, हृदय पर व्रणशोथ का परिणाम-५७, रक्त तथा लसवाहिनियों पर व्रणशोथ का परिणाम-६८, जालिकाअन्तश्छदीय संस्थान पर व्रणशोथ का परिणाम-७५, श्वसनसंस्थान पर व्रणशोथ का परिणाम-७७, महास्रोत पर व्रणशोथ का परिणाम-९८, यकृत् पर व्रणशोथ का प्रभाव-११०, पित्ताशय पर व्रणशोथ का प्रभाव-१३३, सर्वकिण्वी पर व्रणशोथ का परिणाम-१३५, वृकों पर व्रणशोथ का परिणाम-१३७, अधोमूत्रमार्ग पर व्रणशोथ का परिणाम-१५७, पुरुषप्रजननांगों पर व्रणशोथ का परिणाम-१६१, स्त्रीप्रजननांगों पर व्रणशोथ का परिणाम-१६३, वातनाडीसंस्थान पर व्रणशोथ का परिणाम-१७६ । तृतीय अध्याय अतिमृत्यु या उतिनाश [ Tissue necrosis ] २३०-२३६ अतिनाश के तीन प्रमुख कारण-२३०, ऊतिमृत्यु के प्रकार-२३४ । For Private and Personal Use Only
SR No.020004
Book TitleAbhinav Vikruti Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRaghuveerprasad Trivedi
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1957
Total Pages1206
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy