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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विविध शरीराङ्गों पर व्रणशोथ का प्रभाव १७१ जीर्णगर्भाशयान्तःपाक-हम पहले बतला चुके हैं कि जीर्ण पाक के लिए उपसर्ग का होना कोई बहुत आवश्यक नहीं । जो यह जानते हैं कि गर्भाशय के अन्तश्छद पर दो न्यासों ( hormones ) का प्रभाव पड़ता है जिनका निर्माण बीजकोष में बीज के निर्माण के समय और उसके परिपक्व हो जाने के पश्चात् निकल जाने के बाद स्यूनिका में होता है तथा इन दोनों के निर्माण का नियन्त्रण शिरःस्थ पोपणिका ग्रन्थि करती है; वे इसे समझ सकते हैं कि यदि किसी कारण प्रथम स्त्री न्यासर्ग( oestrin) की क्रिया में अन्तर आगया तो अन्तश्छद का स्थूलन प्रारम्भ हो जाता है जैसा कि हम स्वाभाविकरीत्या रजोनिवृत्तिकाल ( menopause ) में देखते हैं। इसी न्यासर्ग में खराबी आने से रजोनिवृत्तिकाल से पूर्व भी अन्तश्छद का स्थूलन हो सकता है उसका परमचय (hyperplasia) देखा जा सकता है । यह परमचय जीर्णगर्भाशयान्तःपाक ही है यद्यपि इसमें गर्भाशय में ढूंढने से भी कोई रोगाणु नहीं मिलेगा। इसके साथ-साथ स्यूनिकाओं में कोष्ठीय परिवर्तन ( cystic changes ) देखे जा सकते हैं । केवल वही जीर्ण गर्भाशयान्तःपाक वैकारिकीय ( pathological ) माना जाना चाहिए जिसमें जीर्ण व्रणशोथ के स्पष्ट प्रमाण उपस्थित हों। अर्थात् १-अन्तश्छद के संधार ( stroma ) में लसीकोशाओं के साथ-साथ प्ररसकोशा ( plasma. cells) उपस्थित हों, २-तन्तुरुह ( fibroblasts ) या तान्तव ऊति कोशा पाये जावें; ३-वाहिनियों में स्थूलन हो और अभिलोपी अन्तर्धमनीपाक ( obliterative endarteritis ) भी हो ( यह लक्षण अन्यत्र भी देखा जासकता है)। स्त्रियों का गर्भाशय समय-समय पर मासिक धर्म के रक्त से धुलता रहता है । और उसका अन्तश्छद प्रतिमास नवीन बनता रहता है इस कारण उसमें बहुत अधिक काल तक उपसर्गकारी प्राणी नहीं रह सकते इसी कारण उसके अन्तश्छद में जीर्णपाक की कल्पना भी नहीं की जा सकती । परन्तु यदि गर्भाशय पेशी का जीर्णपाक चल रहा हो तो इसमें जीर्णपाक मिल सकता है। उपश्लैष्मिक अर्बुदों के साथ यह भी मिलता है क्योंकि उनकी श्लेष्मलकला पतली और अल्पपुष्ट होती है। कभी-कभी जब प्रसवोपरान्त अपरा का पातन पूरा-पूरा न होकर उसके कुछ टुकड़े गर्भाशय में इतस्ततः चिपके रह जाते हैं तो वे भी गर्भाशयान्तःपाक के सहायक कारण बन जाते हैं । रजोनिवृत्तिकाल में गर्भाशय का मासिक संशोधन बन्द हो जाने के कारण उपसर्गकारी जीवों को वहाँ अपना कार्य करने में बड़ी सुविधा और शान्ति मिलने से भी यह रोग होता हुआ देखा जाता है। जीर्ण सपूयगर्भाशयान्तःपाक (pyometra or chronic suppurative endometritis) भी एक विशेष रोग है। इसमें गर्भाशय का निचला मुख किसी अर्बुद के कारण रुक जाने से उसकी गुहा में पूय एवं स्रावादि तरल एकत्र होता रहता है उसे बाहर निकलने का मार्ग मिलता नहीं है। इसके कारण गर्भाशय पूयाशय ( pyometra ) बन जाता है। पूय के कारण गर्भाशय का अन्तश्छद और उसकी For Private and Personal Use Only
SR No.020004
Book TitleAbhinav Vikruti Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRaghuveerprasad Trivedi
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1957
Total Pages1206
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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